नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भारत को एक “जिम्मेदार पूंजीवादी” (Responsible Capitalist) राष्ट्र के रूप में ब्रांडिंग (Branding) करने का आह्वान किया है, जिसमें पूंजीवाद की सीमाओं के बारे में देश की गहरी समझ पर जोर दिया गया है। इंडिया फाउंडेशन (India Foundation) की ओर से आयोजित 8वें इंडिया आइडियाज कॉन्क्लेव में बोलते हुए, सीतारमण ने टिकाऊ जीवन और जिम्मेदार उपभोग के भारत के पारंपरिक मूल्यों पर बात की।
उन्होंने कहा, “यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी जरूरत के अनुसार उपयोग करें न कि अपने लालच के अनुसार। हमें समझना चाहिए कि पूंजीवाद की अपनी सीमाएं हैं और हमें भारत को एक ‘जिम्मेदार पूंजीवादी’ देश के रूप में ब्रांड करने की ज़रूरत है”। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से सर्कुलर इकोनॉमी और पुन: उपयोग जैसे सिद्धांतों को अपनाना वैश्विक रुझानों से प्रेरित नहीं था, बल्कि आवश्यकता और जिम्मेदारी से प्रेरित था। सीतारमण ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “हमने सर्कुलर इकोनॉमी और पुन: उपयोग के सिद्धांत का पालन नहीं किया क्योंकि हम एक गरीब राष्ट्र थे। हमने इसे अपनी जरूरत के अनुसार उपयोग करना अपनी जिम्मेदारी के रूप में सोचा न कि अपने लालच के अनुसार।”
वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक विकास के साथ जिम्मेदारी आती है, भारत में इस मानसिकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। निर्मला सीतारमण ने आधुनिक तकनीक और पारंपरिक ज्ञान को एकीकृत करके पर्यटन को बढ़ाने पर भी जोर दिया। उन्होंने देश भर के शीर्ष 100 पर्यटन केंद्रों में स्व-शिक्षण डिजिटल कार्यक्रम बनाने का सुझाव दिया। ये कार्यक्रम वास्तुकला के महत्व, पर्यटन मूल्य और संस्कृत और पाली जैसी संबंधित भाषाओं के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, “हमें उन लोगों के लिए शिक्षण सामग्री प्रदान करनी चाहिए जो पर्यटन के लिए एक बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाते हुए, भारतीय वास्तुकला के विशिष्ट चमत्कारों को समझना चाहते हैं।” सीतारमण ने विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक मानक स्थापित करने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने खाद्य और औषधि सुरक्षा में शीर्ष मानकों को सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की तर्ज पर एक “भारत एफडीए” बनाने का प्रस्ताव रखा।
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