अमेरिका (US) ने भारत (India) से कहा कि वह रूसी तेल की मूल्य सीमा (Russian Oil Price Range) तय करने वाले गठजोड़ में शामिल हो। इस गठजोड़ का मकसद मास्को के लिए आय के साधनों को बाधित करना और वैश्विक ऊर्जा कीमतों को नरम बनाना है। भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर आए अमेरिका के उप वित्त मंत्री वैली अडेयेमो (US Deputy Finance Minister Wally Adeyemo) ने यूक्रेन (Ukraine) पर आक्रमण के बाद रूस ( Russia) की कमाई को सीमित करने के उपायों पर चर्चा की। इस दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाने के उपायों पर भी चर्चा हुई।
बता दें कि इस वक्त कच्चे तेल की कीमत 100 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से अधिक होने पर अमेरिका तथा अन्य जी-7 देश रूसी तेल पर मूल्य सीमा लागू करने पर विचार कर रहे हैं। अडेयेमो ने कहा कि रूस के ऊर्जा और खाद्यान्न व्यापार को प्रतिबंधों से बाहर रखा गया है और भारत जैसे देश स्थानीय मुद्रा सहित किसी भी मुद्रा का उपयोग करके सौदे कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने रूस से आने वाले तेल के दाम की सीमा तय करने के प्रस्ताव में ‘गहरी दिलचस्पी’ दिखाई है। उन्होंने कहा कि मूल्य सीमा तय होने से रूस को मिलने वाले राजस्व में कमी आएगी। गौरतलब है कि यू्क्रेन पर हमले की पृष्ठभूमि में अमेरिका ने रूस पर कई पाबंदियां लगाई हैं।
अडेयेमो ने कहा, ”दामों की सीमा तय करने को लेकर एकसाथ आने के बारे में भारतीय अधिकारियों और नीति निर्माताओं से मेरी बात हुई है और उन्होंने इस विषय में गहरी दिलचस्पी भी दिखाई है। यह उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा की कीमतों को कम करने के भारत के उद्देश्य के अनुरूप है। हम उन्हें इस बारे में सूचनाएं दे रहे हैं और इस विषय पर संवाद जारी रहेगा।”
दरअसल भारत समेत कुछ देशों ने रूस से तेल की खरीद बढ़ा दी है और इसी को देखते हुए अमेरिका, रूस से आने वाले तेल के दामों की सीमा तय करना चाहता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अडेयेमो से शुक्रवार को मुलाकात की और हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा तथा भारत की जी-20 की अध्यक्षता समेत विभिन्न मुद्दों पर उनके साथ बातचीत की।
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