नई दिल्ली (New Delhi)। अरब सागर और अदन की खाड़ी में सालों से समुद्री लुटेरे (pirates) अपना दबदबा बनाये रखने की कोशिश में लगे हुए हैं। कई ऐसे भी मौके आए थे, जब किसी देश की कमर्शियल जहाज (commercial ship) को लुटेरों ने अरब सागर में अगवा किया तो उन देशों को लुटेरों के सामने समझौता भी करना पड़ा था, लेकिन इस बार समुद्री लुटेरों को जहाज अगवा करने की कोशिश करना महंगा पड़ गया। हमारी भारतीय नौसेना ने ऐसा कहर बरपाया कि आने वाले दिनों में अगर समुद्री लुटेरे किसी जहाज को अगवा करने की कोशिश करेगा, तो सबसे पहले इस बात की तफ्तीश जरूर कर लेगा कि कमर्शियल जहाज में कोई भारतीय तो नहीं है।
भारत ने अब उत्तर और मध्य अरब सागर से लेकर अदन की खाड़ी तक फैले क्षेत्र में समुद्री कमांडो के साथ 10 से अधिक अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों को तैनात किया है. इसके जरिए भारत अरब सागर में समुद्री डकैती और ड्रोन हमलों को रोकने के लिए अपनी नौसैनिक उपस्थिति को और बढ़ा रहा है.
एक रिपोर्ट के अनुसार यह “उन्नत समुद्री सुरक्षा अभियान” भारत द्वारा स्वतंत्र रूप से संचालित किया जा रहा है. भारत ने यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा नागरिक और सैन्य जहाजों पर हमलों के बाद दिसंबर में लाल सागर में शुरू किए गए अमेरिकी नेतृत्व वाले बहुराष्ट्रीय ‘ऑपरेशन प्रोस्पेरिटी गार्जियन’ में शामिल होने से परहेज किया है.
गाइडेड मिसाइल वाले पोत तैनात
तैनात किए गए युद्धपोतों में आईएनएस कोलकाता, आईएनएस कोच्चि, आईएनएस चेन्नई और आईएनएस मोर्मुगाओ जैसे गाइडेड मिसाइल विध्वंसक के साथ-साथ आईएनएस तलवार और आईएनएस तरकश जैसे बहु-भूमिका वाले युद्धपोत शामिल हैं. नौसेना और तटरक्षक बल भी देश के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र की बढ़ी हुई निगरानी का अच्छी तरह से समन्वय कर रहे हैं.
बचाया था 21 सदस्यीय चालक दल
आईएनएस चेन्नई और उसके कमांडो ने 5 जनवरी को लाइबेरिया के ध्वज वाले व्यापारिक जहाज एमवी लीला नोरफोक के अपहरण के प्रयास को विफल कर दिया और अरब सागर में 21 सदस्यीय चालक दल को बचाया.
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