आइजोल (aizawl) । म्यांमार (myanmar) के 150 से अधिक सैनिकों (soldiers) को भारत ने वापस भेज दिया है। ये सैनिक हथियारबंद लोकतंत्र समर्थक जातीय समूहों द्वारा उनके शिविरों पर कब्जा कर लिए जाने के बाद पिछले हफ्ते मिजोरम (Mizoram) भाग गए थे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उन्हें म्यांमार के सैन्य विमान से घर वापस भेज दिया। सैनिकों को वापस लेने के लिए म्यांमार वायु सेना का एक विमान आज मिजोरम के लेंगपुई हवाई अड्डे पर उतरा। परिवहन विमान ने म्यांमार के मांडले से उड़ान भरी और मिजोरम में उतरा और दो उड़ानों में 151 सैनिकों को पड़ोसी देश के अक्याब में पहुंचाया।
29 दिसंबर को, म्यांमार के 151 सैनिक अपने शिविरों से भाग गए और अपने हथियारों के साथ मिजोरम के लांगतलाई जिले में घुस गए। इन सैनिकों को ‘तातमाडॉ’ के नाम से भी जाना जाता है। भारत में घुसने पर उन्होंने असम राइफल्स से संपर्क किया। लड़ाई के दौरान भारत-म्यांमार सीमा के पास उनके शिविर पर म्यांमार में एक सशस्त्र लोकतंत्र समर्थक समूह, अराकान सेना के लड़ाकों ने कब्जा कर लिया था।
असम राइफल्स ने म्यांमार के उन सैनिकों को चिकित्सा उपचार प्रदान किया जो शिविरों से भागते समय बंदूक की लड़ाई में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। ये जवान लांगतलाई के पारवा में असम राइफल्स की हिरासत में थे। असम राइफल्स के एक अधिकारी ने पहले कहा था कि म्यांमार के सैनिकों को कुछ दिनों में उनके देश वापस भेज दिया जाएगा क्योंकि विदेश मंत्रालय (एमईए) और म्यांमार सैन्य सरकार के बीच बातचीत चल रही है।
बिना वीजा वाली मुक्त आवाजाही भी होगी खत्म
भारत-म्यामांर सीमा के आसपास रह रहे लोगों को एक -दूसरे देश में बिना वीजा के 16 किलोमीटर तक जाने की अनुमति देने वाली मुक्त आवाजाही व्यवस्था (फ्री मूवमेंट रिजीम– एफएमआर) शीघ्र ही खत्म हो जाएगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरूणाचल प्रदेश से गुजरने वाली 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा पर फिलहाल एफएमआर है। इसे भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत 2018 में लागू किया गया था। एफएमआर के तहत पर्वतीय जनजाति का हर सदस्य, जो भारत या म्यांमार का नागरिक है एवं सीमा के किसी भी ओर 16 किलोमीटर के दायरे में रहता है, बॉर्डर पास दिखाने पर सीमा के आर-पार जा सकता है और दो सप्ताह तक वहां ठहर सकता है। इस बॉर्डर पास की वैधता साल भर की होती है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘ हम शीघ्र ही भारत-म्यांमार सीमा पर एफएमआर खत्म करने जा रहे हैं। हम पूरी सीमा पर बाड़ लगाने जा रहे हैं। अगले साढ़े चार साल में बाड़ लगाने का काम पूरा हो जाएगा। सीमापार से आने वाले किसी भी व्यक्ति को इसके लिए वीजा लेना होगा।’’ इस विचार का मकसद न केवल एफएमआर का दुरूपयोग रोकना है बल्कि अवैध प्रवासियों की घुसपैठ पर पूर्ण विराम लगाना तथा मादक पदार्थों एवं सोने की तस्करी करने वाले नेटवर्क को बिल्कुल पंगु बनाना है। दरअसल, फिलहाल उग्रवादी संगठन एफएमआर का इस्तेमाल कर भारतीय भूमि में हमला करते हैं और फिर म्यांमार भाग जाते हैं।
यहां यह जिक्र करना प्रासंगिक होगा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने सितंबर, 2023 में केंद्र से एफएमआर खत्म करने की अपील की थी। राज्य सरकार ने दलील दी है कि उग्रवादी अपनी गतिविधियां चलाने के लिए इस व्यवस्था का इस्तेमाल करते हैं। म्यांमार में एक फरवरी, 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद से हजारों जुंटा विरोधी विद्राही मिजोरम में आ गये। सरकारी अनुमान के अनुसार तख्तापलट के बाद से मिजोरम के विभिन्न भागों में हजारों शरणार्थी रह रहे हैं।
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