जिनेवा। छोटे आयुध (small armament) और हल्के हथियारों (light weapons) को नियंत्रित करने के लिए भारत (India) में एक मजबूत कानून-आधारित ढांचा (strong law-based framework) होने के बावजूद यहां की सुरक्षा एजेंसियां हर साल भारत की सीमाओं से अवैध तस्करी के रूप में हजारों अवैध अधिकार जब्त करती हैं। ये इस बात का साफ संकेत है कि यूएन प्रोग्राम ऑफ एक्शन (यूएनपीओए) के कार्यान्वयन के लिए और ज्यादा प्रभावी प्रयासों की जरूरत है।
छोटे आयुध और हल्के हथियारों (एसएएलडब्ल्यू) पर कार्रवाई के कार्यक्रम पर देशों की आठवीं द्विवार्षिक बैठक में सोमवार को बोलते हुए भारत के विदेश मंत्रालय के निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के विभाग में अतिरिक्त सचिव संदीप आर्य ने यह कहा। उन्होंने कहा कि भारत यूएनपीओए के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन को भारत में अवैध व्यापार को रोकने, मुकाबला करने और उन्मूलन के बहुपक्षीय प्रयासों की आधारशिला के रूप में देखता है।
हम विशेष रूप से सशस्त्र संघर्षों को कम करने और आतंकवाद के संकट से निपटने में यूएनपीओए के महत्व पर जोर देते हैं जो दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। उन्होंने कहा कि हाल में हुए कुछ तकनीकी विकास भी छोटे आयुध और हल्के हथियारों की अवैध तस्करी में बढ़ोतरी की वजह बने हैं।
वेस्ट बैंक, यरुशलम और गाजा के ताजा मामलों पर यूएन में जताई चिंता
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में फिलिस्तीन के सवाल पर बोलते हुए, भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रवींद्र ने कहा कि भारत भी मासफर यट्टा के घटनाक्रम पर पैनी नजर रखे हुए है और उसे इस बात की चिंता है कि फिलिस्तीनी परिवारों के संभावित कानूनी निष्कासन पर तनाव बढ़ गया है। उन्होंने कहा, हम वेस्ट बैंक, यरुशलम और गाजा के घटनाक्रम से बहुत चिंतित हैं।
हिंसक हमलों और नागरिकों की हत्या की घटनाओं की वजह से कई फिलिस्तीनी और इस्राइली लोगों की जान चली गई है। उन्होंने कहा विनाश और उकसावे के कार्य भी जारी हैं। हमने लगातार हिंसा के सभी कृत्यों की खिलाफत की है और हिंसा को पूरी तरह से समाप्त करने के अपने आह्वान को दोहराते हैं। उन्होंने कहा कि यथास्थिति को अनावश्यक रूप से बदलने और दो-राज्य समाधान की व्यवहार्यता को कम करने वाले सभी एकतरफा उपायों से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय और इस परिषद को किसी भी ऐसे कदम के खिलाफ एक मजबूत संकेत भेजना बेहद जरूरी है जो इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच स्थायी शांति की संभावना को रोकता है। रवींद्र ने कहा कि भारत ने लगातार दोनों पक्षों के बीच सीधी शांति वार्ता का आह्वान किया है, जिसे भारत दो-राज्य समाधान के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में सबसे अच्छा रास्ता मानता है।
उन्होंने कहा, ये वार्ताएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमत ढांचे के मुताबिक होनी चाहिए, जिनमें फिलिस्तीनी लोगों की देश के लिए वैध आकांक्षाओं और इस्राइल की वैध सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखा गया हो। प्रमुख राजनीतिक मुद्दों पर सीधी बातचीत न होने से इस्राइल और फिलिस्तीनियों को भारी कीमत चुकानी पड़ रही। यह क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति के लिए अच्छा नहीं है।
लीबिया में चुनाव के लिए सांविधानिक समझौता न होने पर भारत ने जताई चिंता
भारत ने कहा है कि यह खेदजनक है कि अभी भी लीबिया में चुनाव कराने के लिए सांविधानिक आधार पर कोई समझौता नहीं हुआ है। यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी और विश्वसनीय तरीके से जल्द से जल्द हों। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में सलाहकार आर. मधुसूदन ने लीबिया पर सुरक्षा परिषद की ब्रीफिंग और परामर्श में कहा कि भारत को इस बात की चिंता है कि युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर के बाद देखी गई प्रगति न केवल रुकने का खतरा है बल्कि पीछे चले जाने के जोखिम के भी संकेत हैं।
मधुसूदन ने कहा कि यह भी महत्वपूर्ण है कि वह अफ्रीका में आतंकवाद के खतरे पर अपना ध्यान केंद्रित करे, विशेष रूप से साहेल क्षेत्र में। उन्होंने कहा कि महासचिव और विशेषज्ञों के पैनल की रिपोर्टों ने दक्षिणी लीबिया में आईएसआईएल और उसके सहयोगियों के प्रशिक्षण शिविरों की उपस्थिति पर प्रकाश डाला है।
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