नई दिल्ली । अब तक इस साल देश के 1,83,741 लोगों ने भारत (India) की नागरिकता (citizenship) छोड़ दी और विदेश (abroad) में ही जीवन गुजारने का फैसला ले लिया। जनवरी से अक्टूबर तक का यह डाटा विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरण (V. Murlidharan) ने शुक्रवार को लोकसभा में दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक (Congress MP Abdul Khaliq) के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। यही नहीं उन्होंने बताया कि 2015 के बाद से अब तक इस साल सबसे ज्यादा लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी है। 2015 में कुल 1,31,489 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी थी तो वहीं 2016 में 1,41,603 लोगों ने अपनी मातृभूमि छोड़कर विदेश में ही जीवन गुजारने का फैसला लिया।
इसके अलावा 2017 में 1,33,049 और 134,561 लोगों ने नागरिकता त्याग दी। यह आंकड़ा 2019 में 144,017 था, जबकि 2020 में 85,256 रहा। यही नहीं 2021 में इसमें एक बार फिर तेजी से इजाफा हुआ और 1,63,370 लोगों ने भारत की नागरिकता ही त्याग दी। विदेश राज्य मंत्री ने बताया कि इससे पहले 2011 से 2014 के दौरान भी हर साल करीब सवा लाख लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी और विदेश में ही बसे रहने का फैसला लिया था। यह पूछे जाने पर कि भारत की नागरिकता छोड़ने वाले लोग कितनी दौलत यहां से लेकर विदेश गए, उन्होंने कहा कि सरकार के पास इसका कोई डाटा नहीं है।
हर साल 1 लाख ने छोड़ी नागरिकता, सिर्फ 100 ने ली
एक तरफ भारत की नागरिकता छोड़कर विदेश में जा बसने वालों की संख्या 1 लाख से ज्यादा हर साल रही है तो वहीं भारत की नागरिकता लेने वालों का आंकड़ा 100 के आसपास ही रहा है। 2015 में 93 लोगों ने भारत की नागरिकता ली तो वहीं 2016 में यह आंकड़ा 153 का रहा। 2017 में 175 तो उसके अगले साल 129 लोग भारत की नागरिकता लेने वालों में रहे। 2019 में 113 तो उसके बाद 2020 में 27 लोगों ने भारत में ही जीवन गुजारने का फैसला लेते हुए नागरिकता ली। 2021 में 42 तो 2022 में 60 लोगों ने भारतीय नागरिकता ली। भारत की सिटिजनशिप लेने वालों में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लोग शामिल रहे हैं।
कितने भारतीय दूसरे देशों की जेलों में बंद, यह भी बताया
कितने भारतीय दूसरे देशों की जेलों में बंद हैं? भाजपा सांसद राहुल कसवान के इस सवाल पर मुरलीधरण ने बताया कि कुल 8 हजार 441 भारतीय विदेश की जेलों में हैं। इनमें से 4,389 लोग यूएई, सऊदी अरब, कतर, कुवैत, बहरीन और ओमान की जेलों में हैं।
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