नई दिल्ली (New Delhi)। इंडिया और भारत (Bharat and india) के बीच विवाद में फिर यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि आखिर यह दोनों शब्द आए कहां से। कलिंग के राजा खारवेल (Raja Kharavela) के करीब 2,100 साल पुराने हाथीगुंफा अभिलेख में भारत शब्द दर्ज है, जो इस नाम का सबसे प्राचीन लिखित रिकॉर्ड माना जाता है। भारत का उल्लेख हमारे पुराणों में भी मिलता है।
विष्णु पुराण भारत की भौगोलिक स्थिति बताते हुए लिखता है, उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्। वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र संततिः॥ अर्थात, दक्षिण में समुद्र और उत्तर में हिम पर्वत के बीच की भूमि का नाम भारत है। यहां भरत के वंशज रहते हैं।
वैदिक युग की ‘भारत’ जनजाति के राजाओं में जन्मे दुष्यंत और शकुंतला के बेटे भरत को उपमहाद्वीप में रहने वाले लोगों का पुरखा बताया गया है। ऋग्वेद की शाखा ऐतरेय ब्राह्मण में कहा गया है कि दुष्यंत के बेटे भरत के नाम पर इस भूमि का नाम भारत पड़ा, जिन्होंने अश्वमेघ यज्ञ कर राज्यों को जीता। संस्कृत महाकाव्य महाभारत इसी नाम पर है, भरत को पांडव व कौरवों का पूर्वज कहा गया है। वहीं, महाकाव्य रामायण में भरत राम के भाई और दशरथ के बेटे हैं।
संविधान में दो नाम क्यों आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत के इतिहास पर लिखी पुस्तक ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में भारत को ‘इंडिया’, भारत’ और ‘हिंदुस्तान’ से संबोधित किया, हालांकि संविधान में हिंदुस्तान नाम नहीं रखा गया, बाकी दो नाम शामिल किए गए। और हिंदुस्तान: हखामनियों के गढ़े शब्द को 16वीं शताब्दी में भारत आए मुगलों ने उपयोग किया। 18वीं सदी के मध्य तक हिंदुस्तान शब्द मुगल शासन वाले हिस्सों के लिए उपयोग किया गया।
इंडिया नाम अंग्रेजों ने फिर से अपनाया: अंग्रेजों का शासन आया तो उन्होंने भारत के विभिन्न नक्शों में इंडिया शब्द लिखना शुरू किया। माना जाता है कि ऐसा करके वे यूरोप के ग्रीक और रोमन इतिहास से जुड़ना चाहते थे।
सरकार ने कहा था नाम बदलने की जरूरत नहीं
भारत सरकार ने 2015 में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि देश को इंडिया के बदले भारत कहे जाने की जरूरत नहीं है। उस समय शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दायर कर देश का नाम आधिकारिक रूप से भारत गणतंत्र किए जाने की मांग की गई थी। तब, केंद्र सरकार ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद-1 में बदलाव पर विचार किए जाने की कोई परिस्थिति नहीं बनी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह भी कहा था कि संविधान का मसौदा तैयार करते समय संविधान सभा ने देश के नाम पर व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया था। मूल मसौदे में भारत का जिक्र नहीं था और बहस के दौरान भारतवर्ष, भारतभूमि, इंडिया दैट इज भारत और भारत दैट इज इंडिया जैसे नामों पर विचार हुआ।
पहले कांग्रेस और मुलायम भी ला चुके हैं ‘भारत’ का प्रस्ताव
कांग्रेस, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. मुलायम सिंह यादव और मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, यह सभी देश का नाम भारत रखने का प्रस्ताव विभिन्न मौकों पर राज्यसभा, लोकसभा और यूपी विधानसभा में ला चुके हैं। जानिए कब, क्या हुआ था:
मुलायम सिंह : विधानसभा में पास कराया भारत करने का प्रस्ताव
उत्तर प्रदेश की विधानसभा में बतौर मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने निर्विरोध प्रस्ताव पारित करवाया, जिसमें कहा गया कि भारत एक प्राचीन नाम है, संविधान में इंडिया लिखकर गलती की गई है। यह प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हुआ था, हालांकि इससे पहले भाजपा ने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया था। सपा ने 9 अप्रैल 2004 को अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि वह संविधान संशोधन कर देश का नाम भारत करेगी।
कांग्रेस : भारत को ज्यादा अर्थपूर्ण बताया…
गोवा से कांग्रेस नेता शांताराम नाइक ने अगस्त, 2012 में राज्यसभा में देश के नाम को लेकर प्रस्ताव रखा था। इसमें संविधान की प्रस्तावना सहित जहां भी इंडिया शब्द आया है उसे भारत रखने की मांग की थी, जिसे ज्यादा अर्थपूर्ण बताया।
योगी आदित्यनाथ : इंडिया के बजाय हिंदुस्तान का विकल्प
लोकसभा में योगी ने निजी विधेयक पेश कर ‘हिंदुस्तान’ नाम उपयोग करने की बात कही। उन्होंने अनुच्छेद 1 और संविधान में जहां भी इंडिया है, उसे हिंदुस्तान करने का प्रस्ताव रखा।
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