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    भारत को मिली तवज्जो, इमरान खान हुए नाराज

  • October 31, 2020

    नई दिल्ली। पाकिस्तान कभी अमेरिका का लाडला हुआ करता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। वैश्विक व्यवस्था में चीन एक ताकतवर देश बनकर उभरा है, दूसरी तरफ ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका पहले के मुकाबले थोड़ा कमजोर हुआ है। कई विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि बदले वैश्विक हालात में अमेरिका के लिए चीन को रोकना अहम हो गया है इसलिए पाकिस्तान की तुलना में भारत के साथ करीबी उसकी रणनीति के मुफीद बैठती है, लेकिन पाकिस्तान के लिए ये परेशान करने वाला है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जर्मन मैगजीन को एक इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने अमेरिका से पाकिस्तान को भारत के बराबर तवज्जो देने की मांग की है।

    जर्मन मैगजीन ‘डर स्पीगल’ को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि दक्षिण एशिया में कभी भी संघर्ष भड़क सकता है। इमरान खान ने कहा, इसीलिए हम दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका से उम्मीद करते हैं कि वहां चाहे कोई भी राष्ट्रपति बने, उसे बिना किसी भेदभाव के हमारे साथ समान व्यवहार करना चाहिए। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा, अमेरिका को लगता है कि भारत चीन को रोक पाएगा जो कि पूरी तरह से एक भ्रम है। इमरान खान ने कहा कि भारत अपने पड़ोसी देशों चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका और हमारे लिए खुद एक खतरा है।

    इमरान खान ने हमेशा की तरह एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि ये अब तक की सबसे अतिवादी और नस्लवादी मानसिकता की सरकार है। इमरान खान ने कहा कि पीएम मोदी की पार्टी की बौद्धिक नींव आरएसएस के लेखन में खुले तौर पर हिटलर को सराहा जाता रहा है। उन्होंने कहा कि नाजी यहूदियों से छुटकारा चाहते थे और आरएसएस मुस्लिमों से।

    तालिबान को बातचीत की मेज पर लाने में पाकिस्तान कैसे कामयाब हुआ? इस सवाल के जवाब में इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान में 27 लाख अफगान रहते हैं और इस्लामाबाद को इस बात का फायदा मिलता है। इमरान खान ने कहा, अफगानिस्तान में हमारा कोई स्वार्थ नहीं है, हमारा एक ही मकसद है कि काबुल में भविष्य में आने वाली सरकार भारत को पाकिस्तान के खिलाफ अपनी जमीन का इस्तेमाल ना करने दे। इमरान खान ने कहा कि फिलहाल कोई भी अफगानिस्तान को लेकर भविष्यवाणी कर सकने की हालत में नहीं है। उन्होंने कहा कि वो बस इतना कह सकते हैं कि अफगानिस्तान के बाद कोई देश अगर वहां शांति चाहता है तो वो पाकिस्तान ही है।

    पाकिस्तान की सरकार सेना की आलोचना को प्रतिबंधित करने के लिए एक नया कानून लाने जा रही है। जब इमरान से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने इसका बचाव करते हुए कहा कि किसी भी पश्चिमी देश से ज्यादा पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। उन्होंने कहा, जहां तक आलोचना सच्चाई और तथ्यों पर आधारित है, उसे स्वीकार किया जाएगा। हर दिन हमारे सुरक्षा बल जंग में लोगों को खोते हैं, हर देश अपनी संस्थाओं को सुरक्षा देता है। जब उन्हें निशाना बनाया जा रहा हो तो ये हमारी जिम्मेदारी है।

    इमरान खान ने कहा, अगर मुझे लगता है कि कुछ गलत हो रहा है तो मैं आर्मी चीफ से बात करूंगा। सैन्य ऑपरेशनों में अक्सर मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है और जब ऐसा होता है तो हम कई बार इसका विरोध करते हैं, लेकिन इसे लेकर सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं होनी चाहिए। जब हमारे सैनिक अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं तो आप सार्वजनिक तौर पर उनका मनोबल नहीं गिरा सकते हैं।

    यूएई समेत मध्य-पूर्व देशों में इजरायल को लेकर बढ़ती जा रही स्वीकार्यता को लेकर इमरान खान ने कहा कि हर देश की अपनी विदेश नीति होती है। इमरान खान ने कहा, पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने 1940 के दशक में फिलीस्तीन में मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर आवाज उठाई थी। पाकिस्तान आज भी उसी रुख पर कायम है। जब तक फिलीस्तीनियों को उनका हक नहीं मिल जाता है, हम इजरायल को मान्यता नहीं दे सकते हैं।

    जर्मन मीडिया को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपने दोस्त चीन की जमकर तारीफ की। इमरान खान ने कहा, चीन ने पिछले 40 सालों में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वो काबिले-तारीफ हैं। मैं चीन की सराहना करता हूं क्योंकि उसने 40 साल की अल्प अवधि में 700 मिलियन लोगों को गरीबी रेखा से निकाल लिया। मैं अपने देश में भी यही मॉडल लागू करना चाहता हूं।

    इमरान खान ने कहा, चीन में चुनावी राजनीति ना होने के बावजूद शीर्ष पदों पर सबसे होनहार लोग पहुंचते हैं। वहां मेरिट पर आधारित सिस्टम है। मैंने देखा है कि कम्युनिस्ट पार्टी कैसे प्रतिभाओं को आगे बढ़ाती है। इसके अलावा, पिछले सात सालों में चीन ने भ्रष्टाचार के आरोप में मंत्रिमंडल स्तर के 450 अधिकारियों को जेल में डाला है। चीन की मिसाल देते हुए इमरान खान ने पाकिस्तान के विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा। इमरान खान ने कहा कि उनका देश संसाधनों के अभाव की वजह से गरीब नहीं है बल्कि भ्रष्ट नेताओं की वजह से पिछड़ा है।

    पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार के खिलाफ तमाम विपक्षी दल एकजुट हो गए हैं और इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। इमरान खान ने कहा कि वो इस तरह के गठबंधनों से ब्लैकमेल नहीं होंगे। उन्होंने कहा, सवाल ही नहीं उठता कि मैं झुकूं। हम अपने इतिहास में सबसे बड़े व्यापार घाटे का सामना कर रहे हैं। हमारा आयात 60 अरब डॉलर का था और निर्यात सिर्फ 20 अरब डॉलर का। रुपया लगातार गिर रहा है और महंगाई बढ़ रही है क्योंकि हम ईंधन का आयात करते हैं। हर चीज महंगी होती जा रही है, यहां तक कि बिजली भी। हमें अपना राजस्व बढ़ाना होगा और अपना टैक्स बेस भी। हम जब एक तकलीफदेह सुधार प्रक्रिया से गुजर रहे हैं तो विपक्षी दल के नेता गुटबाजी करने में लगे हैं। उन्हें डर है कि अगर एक बार चीजें स्थिर हो गईं तो फिर वे भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद होंगे।

     

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