नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ईंधन की बढ़ती कीमतों व खाद्यान्न में कमी के कारण पैदा हो रहे खाद्य संकट के बीच भारत ने अपने सरप्लस अनाज से मदद की पेशकश की है. हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डब्ल्यूटीओ की एक अधिकारी के सामने इस मुद्दे को उठाते हुए यह भी कहा है कि भारत जैसे कृषि प्रधान देशों को अनाज निर्यात करने में डब्ल्यूटीओ के साथ कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
वित्त मंत्री की इस चिंता पर प्रतिक्रिया देते हुए डब्ल्यूटीओ की महानिदेशक ने विश्वास दिलाया है कि संगठन इस मामले को देख रहा है और जल्दी ही इसे सुलझा लिया जाएगा. अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत संधू ने कहा है कि यूएस ने अनाज को लेकर भारत से मदद मांगी है.
जल्द ही सुलझेगा मामला
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह मुद्दा आईएमएफ द्वारा अमेरिका में आयोजित स्प्रिंग बैठक में उठाया था. वित्त मंत्री ने कहा है, “मैं इस बात को लेकर बेहद सकारात्मक हूं कि इस मामले में डब्ल्यूटीओ की प्रतिक्रिया बेहद संतोषजनक थी. मुझे लगता है कि हम एक दशक पुराने उन प्रतिबंधों को तोड़ने में सफल होंगे जिनकी वजह से भारत अपने सरप्लस कृषि उत्पादों का निर्यात नहीं कर पा रहा है. इससे किसानों को भी बेहतर मुनाफा मिलेगा.”
उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट के बीच भारत ने खाद्य उत्पादों को निर्यात और विनिर्माण में अवसर देखे हैं. उन्होंने कहा कि पूरी प्लेनरी ने इस बात पर सहमति जताई कि विश्व में खाद्य संकट चल रहा है और भारत जैसे देश जो इस संकट में तुरंत मदद कर सकते हैं उन्हें डब्ल्यूटीओ से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
डिजिटल क्षेत्र में भारत की प्रगति
वित्त मंत्री ने डिजिटल क्षेत्र मे भारत की प्रगति को लेकर कहा कि ये बात अब लोगों को समझ आ रही है कि देश जितना डिजिटली संपन्न होगा उसके लिए वित्तीय समावेशन और लोगों तक सेवाएं पहुंचाना उतना ही आसान हो जाएगा. उन्होंने कहा कि भारत ने जो पिछले कुछ समय में डिजिटल क्षेत्र में उन्नति की है और उसके कारण महामारी के दौरान देश ने जो लाभ उठाया है उसको मान्यता मिल रही है. उन्होंने कहा कि कई देश इस बारे में जानने के लिए भारत आ रहे हैं.
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