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    Covid-19 मृत्यु दर अनुमान को लेकर भारत ने उठाए WHO की कार्यप्रणाली पर सवाल

  • April 17, 2022

    नई दिल्ली। भारत (India) ने देश (country) में कोविड-19 मृत्यु दर का अनुमान (Estimate of Covid-19 mortality rate) लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) (World Health Organization-WHO) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। भारत ने शनिवार को कहा कि इस तरह के गणितीय मॉडल का इस्तेमाल इतने बड़े भौगोलिक आकार और जनसंख्या वाले देश के लिए मृत्यु के आंकड़ों का अनुमान लगाने में नहीं किया जा सकता।

    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 16 अप्रैल को प्रकाशित न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख जिसका शीर्षक था ‘भारत वैश्विक स्तर पर कोरोना से मौत को सार्वजनिक करने के डब्ल्यूएचओ के प्रयासों को बाधित कर रहा है’, के जवाब में एक बयान जारी किया। भारत ने कहा कि देश ने कई मौकों पर डब्ल्यूएचओ द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली को लेकर वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया है।


    मंत्रालय ने कहा कि भारत इस मुद्दे पर डब्ल्यूएचओ के साथ नियमित और गहन तकनीकी आदान-प्रदान करता रहा है। डब्ल्यूएचओ विश्लेषण, जो टीयर एक के देशों से सीधे प्राप्त मृत्यु दर के आंकड़ों का उपयोग करता है, जबकि टियर दो के देशों (जिसमें भारत भी शामिल है) के लिए गणितीय मॉडलिंग प्रक्रिया का उपयोग करता है।

    मंत्रालय ने कहा, “भारत की मूल आपत्ति परिणाम को लेकर नहीं रही है, बल्कि इसके लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली को लेकर है।” बयान में कहा गया है कि “डब्ल्यूएचओ का मॉडल अतिरिक्त मृत्यु दर अनुमानों के लिए टियर एक के देशों के डाटा का उपयोग करते समय और 18 भारतीय राज्यों के असत्यापित डाटा का उपयोग करते समय दो अलग-अलग मापदंड अपनाता है। अनुमानों में इस तरह की व्यापक भिन्नता इस तरह के मॉडलिंग अभ्यास की वैधता और सटीकता के बारे में चिंता पैदा करती है।”

    स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत ने औपचारिक संचार की एक श्रृंखला के माध्यम से अन्य सदस्य देशों के साथ कार्यप्रणाली को लेकर अपनी चिंताओं को साझा किया था, जिसमें डब्ल्यूएचओ को जारी छह पत्र (17 नवंबर, 20 दिसंबर, 2021; 28 दिसंबर, 2021; 11 जनवरी, 2022, 12 फरवरी, 2022 और 2 मार्च, 2022) शामिल हैं। इसके साथ ही 16 दिसंबर, 2021, 28 दिसंबर, 2021, 6 जनवरी, 2022, 25 फरवरी, 2022 को आभासी बैठकें की गईं और 10 फरवरी, 2022 को दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय (एसईएआरओ) के साथ वेबिनार आयोजित की गईं।

    इन आदान-प्रदानों के दौरान, भारत द्वारा अन्य सदस्य देशों- चीन, ईरान, बांग्लादेश, सीरिया, इथियोपिया और मिस्र के साथ डाटा के अनौपचारिक उपयोग की कार्यप्रणाली और उपयोग के बारे में विशिष्ट प्रश्न उठाए गए।

    बयान में कहा गया है कि चिंता विशेष रूप से इस बात को लेकर है कि कैसे सांख्यिकीय मॉडल परियोजनाएं भौगोलिक आकार और भारत की आबादी के देश के लिए अनुमान लगाती हैं और अन्य देशों के साथ भी वह फिट बैठती हैं, जिनकी आबादी कम है। ऐसा एक परिणाम सभी दृष्टिकोणों और मॉडलों में ट्यूनीशिया जैसे छोटे देशों के लिए सही हो सकते हैं, लेकिन 1.3 अरब की आबादी वाले भारत पर लागू नहीं हो सकते हैं।

    बयान में कहा गया है, “डब्ल्यूएचओ ने अभी तक विभिन्न देशों में वर्तमान सांख्यिकीय मॉडल के लिए विश्वास अंतराल साझा नहीं किया है। भारत ने जोर देकर कहा है कि यदि मॉडल सटीक और विश्वसनीय है, तो इसे सभी टियर एक के देशों के लिए चलाकर प्रमाणित किया जाना चाहिए और इस तरह के अभ्यास का परिणाम सभी सदस्य राज्यों के साथ साझा किया जाना चाहिए।”

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