नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डिजिटल इंडिया मिशन अब सफल होता दिख रहा है। देश में साल 2020 के दौरान सबसे ज्यादा डिजिटल लेनदेन हुए और इस मामले में भारत ने अमेरिका-चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। बीते साल भारत में कम से कम 25.5 बिलियन डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए हैं। इसके बाद चीन का नंबर आता है, जहां 15.7 बिलियन ट्रांजेक्शन हुए हैं। इसी तरह दक्षिण कोरिया में 6 बिलियन, थाईलैंड में 5.2 बिलियन, ब्रिटेन में 2.8 बिलियन ट्रांजेक्शन हुए हैं।
अमेरिका 9वें पायदान पर
अमेरिका बड़ी मुश्किल से टॉप-10 में अपनी जगह बना पाया है। वहां बीते साल 1.2 बिलियन ट्रांजेक्शन हुए और वह लिस्ट में 9वें स्थान पर है। त्वरित भुगतान (Instant payments) के मामले में भारत की हिस्सेदारी 15.6 फीसदी रही है जबकि अन्य इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट्स में यह 22.9 फीसदी पर पहुंचा है।
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के बावजूद भारत में पेपर आधारित भुगतान भी कम नहीं हुआ है और उस पर भी लोगों को पूरा भरोसा है। इस मामले में भारत की हिस्सेदारी 61 फीसदी से भी ज्यादा रही है। ब्रिटेन की एक कंपनी ACI वर्ल्ड वाइड की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आए हैं।
2025 तक बढ़त के आसार
हालांकि अनुमान है कि 2025 तक भारत इस दिशा में और सुधार कर लेगा। डिजिटल भुगतान के मामले में भारत की हिस्सेदारी तब बढ़कर 37 फीसदी जबकि इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट्स में यह 34 फीसदी तक पहुंचने के आसार हैं। इससे साफ है कि फिर पेपर आधारित भुगतान में हिस्सेदारी गिरेगी, जिसके 28 फीसदी तक आ जाने का अनुमान है। एनपीसीआई के मुताबिक देश में यूपीआई के जरिए लेनदेन भी लगातार बढ़ता जा रहा है। फरवरी से बढ़कर मार्च 2021 में यह करीब 4.25 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया था।
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