नई दिल्ली। पीएम मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के नेताओं का शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में चीन, पाकिस्तान, रूस आदि सदस्य देश शामिल हुए। समिट के आखिर में जारी किए गए घोषणापत्र में कुछ ऐसा हुआ जिससे भारत खासा खुश नज़र नहीं आ रहा है। मामला सिर्फ चीन से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि इसमें पाकिस्तान और रूस की भी भूमिका है।
क्यों नाराज़ हुआ भारत?
SCO समिट के आखिर में एक पैराग्राफ पर सभी देशों ने साइन किए लेकिन इसमें भारत का नाम नहीं था। मामला चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI Project) से जुड़ा है। जिसका समर्थन करने वाले पैराग्राफ पर हस्ताक्षर करने से भारत ने इनकार कर दिया है। जबकि चीन के इस प्रोजेक्ट को लेकर रूस और पाकिस्तान समेत कई देशों ने अपना समर्थन दिया है।
क्या है BRI प्रोजेक्ट? क्यों करता है भारत विरोध
भारत ने मंगलवार कोर चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का समर्थन करने से इनकार कर दिया। हालांकि इसमें रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने अपना समर्थन दिखाया है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक 2023 के SCO घोषणापत्र में BRI को लेकर एक पैराग्राफ में लिखा है, ‘चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान अपने समर्थन की पुष्टि करते हैं। ये देश परियोजना को संयुक्त रूप से लागू करने के लिए चल रहे काम का समर्थन करते हैं, जिसमें यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (बेलारूस, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान का आर्थिक संघ) और बीआरआई को जोड़ने के प्रयास भी शामिल हैं.’।
भारत ने हमेशा BRI का विरोध किया है, क्योंकि भारत का मानना है कि चीन-पाकिस्तान भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन करते है। आतंकवाद के मुद्दे पर दिल्ली घोषणापत्र में समरकंद घोषणापत्र से एक शब्द बदलने के अलावा समान भाषा का उपयोग किया गया है: इस बार “अतिराष्ट्रवाद” के बजाय “अंधराष्ट्रवाद” का उपयोग किया गया है।
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