नई दिल्ली। अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत के दौरान भारत को सावधान रहना होगा, क्योंकि अमेरिका में फास्ट ट्रैक ट्रेड अथॉरिटी (Fast Track Trade Authority) नहीं होने के कारण समझौते में किसी भी बड़े बदलाव के लिए कांग्रेस की मंजूरी लेने की जरूरत पड़ सकती है। आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने दोनों देशों के बीच व्यापार पर वार्ता शुरू होने के खबरों के बीच यह बात कही है।
जीटीआरआई के संस्थापक ने कहा कि अमेरिका की पोस्ट-एफटीए सर्टिफिकेशन प्रक्रिया के कारण, अमेरिका को किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद भी फिर से मोलभाव करने का मौका मिल जाता है। बातचीत के दौरान अमेरिकी अधिकारी भारत से घरेलू कानून में बदलाव, नियामकीय सुधार और नीतिगत बदलाव से जुड़े ऐसे मांग कर सकते हैं, जिससे देश की संप्रभुता प्रभावित हो सकती है।
उन्होंने कहा, “भारत को अमेरिका से बातचीत में न केवल कूटनीतिक कौशल दिखाने की जरूरत है। इसके अलावे हमें अमेरिका की व्यापारिक नीतियों में मौजूद कानूनी असमानताओं से भी सतर्क रहना होगा।”
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