नई दिल्ली । भारत ने एक हफ्ते पहले पिनाका रॉकेट मार्क-I से 6 फायर टेस्ट करने के बाद अब गाइडेड पिनाका का विकास लगभग पूरा कर लिया है। पिनाका रॉकेट प्रणालियों और इसके उन्नयन के लंबे समय से चल रहे विकास में बहुत कुछ हुआ है। पिनाका मार्क-I और मार्क-II के साथ गाइडेड पिनाका भी सेना के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी। पिनाका का निर्देशित संस्करण विशिष्ट लक्ष्य को हिट करने के मामले में सेना की क्षमता में इजाफा करेगा।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पिनाका रॉकेट मार्क-I से करीब 37.5 किलोमीटर तक निशाना साधा जा सकता है, जबकि पिनाका मार्क-II की रेंज 60 किलोमीटर दूर तक है। पिनाका रॉकेट्स को मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर से छोड़ा जाता है, जो 44 सेकंड में 12 रॉकेट लॉन्च करने में सक्षम है। डीआरडीओ ने 1980 के दशक के अंत में पिनाका रॉकेट का विकास शुरू किया। 1990 के दशक के उत्तरार्ध में पिनाका मार्क-1 के सफल परीक्षणों के बाद 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान इसका सफलतापूर्वक उपयोग किया गया था। इसके बाद चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में कई रेजिमेंट बनाई गईं। अब मौजूदा दौर में चीन के साथ चल रहे टकराव के बीच देश की उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर छह पिनाका रेजिमेंट चालू करने का फैसला किया गया है जिसमें 114 लॉन्चर तैनात होंगे।
इसीलिए डीआरडीओ ने पिनाका रॉकेट और लॉन्चरों का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। छह पिनाका रेजिमेंट्स के लिए ऑटोमेटेड गन ऐमिंग एंड पोजिशनिंग सिस्टम और 45 कमांड पोस्ट्स खरीदने के लिए टाटा पावर कंपनी लिमिटेड (टीपीसीएल) और लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) से समझौता किया गया है। इसी तरह 330 वाहन भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) से खरीदे जाएंगे जिन पर 2580 करोड़ के आसपास खर्च होंगे। पिनाका सिस्टम की एक बैटरी में छह लॉन्च व्हीकल होते हैं, साथ ही लोडर सिस्टम, रडार और नेटवर्क सिस्टम से जुड़ी एक कमांड पोस्ट होती है। एक बैटरी के जरिए एक गुणा एक किलोमीटर एरिया को पूरी तरह ध्वस्त किया जा सकता है।
डीआरडीओ ने गाइडेड पिनाका मार्क-II के बाद गाइडेड पिनाका सिस्टम विकसित कर लिया है जिसकी रेंज 75 किमी. है। पुराने वर्जन में सुधार के लिए एकीकृत नेविगेशन, नियंत्रण और मार्गदर्शन प्रणाली लगाई गई है, जिससे इसकी सटीकता और मारक क्षमता भी बढ़ी है। गाइडेड पिनाका मिसाइल का नेविगेशन सिस्टम भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) से सम्बद्ध है। इन रॉकेटों का निर्माण करने के लिए नागपुर की निजी कंपनी इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (ईईएल) को डीआरडीओ ने तकनीक हस्तांतरित कर दी है।
गाइडेड पिनाका सिस्टम विकसित होने के बाद अब परीक्षणों का दौर शुरू होगा। परीक्षणों के निर्धारित पैटर्न के अनुसार पहले आंतरिक परीक्षण, फिर उपयोगकर्ता सहायता प्राप्त तकनीक परीक्षण और फिर उपयोगकर्ता परीक्षण होंगे। भविष्य में पिनाका मार्क-I और मार्क-II के साथ गाइडेड पिनाका भी सेना के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी। पिनाका का निर्देशित संस्करण विशिष्ट लक्ष्य को हिट करने के मामले में सेना की क्षमता में इजाफा करेगा। पारंपरिक युद्ध क्षेत्र में पिनाका जैसी लंबी दूरी की आर्टिलरी सिस्टम का उपयोग प्रतिकूल लक्ष्य पर हमला करने के लिए किया जाता है, जिसमें छोटी दूरी की आर्टिलरी, बख्तरबंद तत्व और पैदल सेना भी शामिल हैं।
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