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हिंद महासागर से ड्रैगन को मुंहतोड़ जवाब देने भारत ने बनाया खास प्लान!

April 05, 2023

नई दिल्‍ली (New Delhi)। चालबाज चीन (Trickster China) आज दुनिया के लिए खतरा बनता जा रही है। यही कारण है कि चीन भारत के लिए भी सिरदर्द बना हुआ है, लेकिन अब भारत (India) की कोशिश है कि चीन को समंदर (Ocean) में घेरा जाए और उसकी आर्थिक कमर पर करारी चोट की जाए। हिंद महासागर (Indian Ocean) के जरिए चीन का बड़ा कारोबार यूरोपीय देशों से होता आया है।

जानकार भी मानते हैं कि हिंद महासागर के रास्ते पर चीन को चुनौती दी जा सकती है। जैसे-जैसे चीन हिंद और प्रशांत महासागर के क्षेत्र में अपना बाहुबल बढ़ा रहा है, लेकिन अब केंद्र की मोदी सरकार ने हिंद महासागर से चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयारी शुरू कर दी है।
भारत ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सैन्य ढांचे को मजबूती देते हुए विध्वंसक क्षमता को तैनात किया है, हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकार और सशस्त्र बल, अंडमान निकोबार ट्राई सर्विस कमांड इस क्षमता के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं। भारत म्यांमार के पास कोको द्वीप समूह और कंबोडिया में सिहानोकविले प्रांत में स्थित रीम नेशनल पार्क में चीनी सहायता प्राप्त हवाई अड्डे की गतिविधि की निगरानी कर रहा है।

बीजिंग ने हाल के दिनों में श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह, बलूचिस्तान में ग्वादर, ईरान में चाह बहार, यूएई में खलीफा बंदरगाह के अलावा पूर्वी अफ्रीकी देश जिबूती में अपनी रणनीतिक उपस्थिति दर्ज कराई है।



इंटेलीजेंस रिपोर्ट बताती हैं कि म्यांमार ने कोको द्वीप पट्टी पर रनवे को 1300 मीटर से बढ़ाकर 2300 मीटर तक किया है. साथ ही 2021-2022 में शेड का निर्माण किया था जिससे द्वीप की आपूर्ति के लिए परिवहन विमान का संचालन किया था। कोको द्वीप अंडमान और निकोबार से 55 किमी की दूरी पर है। कोको द्वीप पर चीनी की कोई स्थायी उपस्थिति नहीं है. वे अक्सर कोको पर तैनात लगभग 150 म्यांमार कर्मियों के साथ दूरस्थ म्यांमार चौकी पर देखे जाते हैं।

भारत को आशंका है कि कोको द्वीप के दक्षिणी सिरे पर एक एयर डिफेंस और एयर सर्विलांस क्षमता लगाई जा सकती है. हालांकि, अभी इसके सबूत नहीं हैं। वर्तमान में यहां एक पुल बनाने पर काम चल रहा है, जो द्वीप के दक्षिणी सिरे को अगले द्वीप से जोड़ेगा।
कंबोडिया के रीम नेशनल पार्क में एक विस्तारित रडार प्रणाली के साथ एक एयर डिफेंस और एयर सर्विलांस क्षमता की उम्मीद है। रीम नेशनल पार्क जिबूती के बाद विदेश में चीन का दूसरा बेस और इंडो-पैसिफिक में पहला बेस होगा। कंबोडिया और लाओस आसियान में निकटतम चीनी साझेदार हैं। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और कंबोडियाई नौसेना ने पिछले महीने कंबोडियाई समुद्र में पहला संयुक्त नौसैनिक अभ्यास आयोजित किया था। म्यांमार और कंबोडिया दोनों इस बात से इनकार करते हैं कि वे चीनी गेमप्लान का हिस्सा हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है। दोनों देश बीजिंग की बेल्ट रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा हैं।

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