विदेश

दोस्ती निभाना जानता है भारत, जिनपिंग को ना…, 2800 KM दूर जाकर पुतिन से मिलेंगे PM मोदी

नई दिल्ली (New Delhi)। भारत (India) किसी से दोस्ती करता है तो फिर उसे अंत तक निभाता है. भारत (India) की दोस्ती जितनी खूबसूरत है, दुश्मनी उतनी ही खतरनाक. यूक्रेन जंग (Ukraine war) की वजह से रूस संकटों से घिरा है. उसके ऊपर अमेरिका (America) समेत पश्चिमी देशों (Western countries) का पहरा है. यूक्रेन जंग में रूस को अलग-थलग करने में पश्चिमी ताकतें लग चुकी हैं. मगर रूस का सदाबहार दोस्त उसकी मुश्किल घड़ी में भी उसके साथ खड़ा है. नाम है भारत. जी हां, जब यूक्रेन जंग में रूस पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंधों की बौछार की। तब भी भारत ने दोस्ती निभाई. जब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रूस पर नकेल कसने की तैयारी हो रही थी, तब भी भारत ने रूस का साथ दिया।


अब जब यूक्रेन-रूस के बीच जंग के बाद अधिकतर देश पुतिन से कन्नी काट रहे हैं, ऐसे में एक बार फिर भारत ने दिखाया है कि दोस्त हम तुम्हारे साथ हैं. जी हां, तीसरी बार प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनने वाले नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अपने दोस्त पुतिन से मिलने मॉस्को जा रहे हैं. मिलना तो पीएम मोदी को उज्बेकिस्तान में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) से भी था. मगर उन्होंने जिनपिंग को ना कह दिया. अब वह 2800 किलोमीटर दूर जाकर पुतिन से अकेले में मिलेंगे. पीएम मोदी ने अब ऐसा फैसला क्यों लिया है, यह जानना बेहद दिलचस्प है।

दरअसल, पीएम मोदी अगले महीने रूस की यात्रा पर जाने वाले हैं। पीएम मोदी इंडिया-रशिया एनुअल समिट के लिए मास्को जाने वाले हैं. हालांकि, अभी तक तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुलाई के दूसरे सप्ताह में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) से मुलाकात करेंगे और एनुअल भारत-रूस समिट वार्ता भी करेंगे. यहां ध्यान देने वाली बात है कि पीएम मोदी रूस-यूक्रेन जंग के बाद पहली बार पुतिन से मिलने मॉस्को जा रहे हैं. पीएम मोदी की यह यात्रा ऐसे वक्त में हो रही है, जब पिछले ढाई साल से रूस और यूक्रेन जंग की आग में जल रहे हैं. रूस-यूक्रेन जंग पर भारत ने शुरू से ही शांति का पक्ष लिया है. भारत ने कहा है कि वार्ता के जरिए ही शांति बहाल हो सकती है और युद्ध खत्म हो सकता है. यही वजह है कि हाल ही में भारत ने स्विटजरलैंड में यूक्रेन पीस समिट में भाग लिया. हालांकि, भारत ने इस समिट में रूस की गैरमौजूदगी पर सवाल उठाया और यूक्रेन शांति से जुड़े दस्तावेज पर सिग्नेचर करने से इनकार कर दिया. भारत भले ही रूस-यूक्रेन जंग में शांति की वकालत करता रहा है. मगर भारत ने कभी अपने दोस्त रूस को भला-बुरा नहीं कहा. हालांकि, मोदी ने दोस्त पुतिन को शांति का पाठ जरूर पढ़ाया और शांति से मामले को निपटाने को कहा.

पुतिन से मिलने मॉस्को जाएंगे मोदी
मोदी के लिए पुतिन और रूस की दोस्ती काफी अहमयित रखती है. पीएम मोदी चाहते तो अगले ही महीने कजाकस्तान में होने वाले एससीओ समिट में पुतिन से मिल लेते. मगर पीएम के मन में कुछ और बड़ा प्लान है. वह रूस जाकर पुतिन से मिलेंगे, ताकि दुनिया को एक संदेश जाए कि भारत किसी के दबाव में आकर अपनी दोस्ती-दुश्मनी नहीं करता है. रूस जाकर पुतिन से मिलने के पीछे मोदी का एक और मकसद है. बीते कुछ दिनों में पुतिन और जिनपिंग की नजदीकियां बढ़ी हैं. ऐसे में पीएम मोदी जिनपिंग को यह बताना चाहते हैं कि भारत और रूस की दोस्ती अटूट है. इस दोस्ती के बीच में चीन की कोई जगह नहीं है. यूक्रेन जंग के बाद से चीन लगातार रूस पर डोरे डाल रहा है. यही वजह है कि पांचवीं बार राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन चीन के दौरे पर गए थे. मोदी उसी पतंग की डोर को काटने की कोशिश में लगे हैं. मोदी और पुतिन की होने वाली मुलाकात चीन को पक्का खटकेगा. वजह है कि मोदी जिनपिंग से नहीं मिलेंगे, मगर करीब कजाकस्तान से 2800 किलोमीटर दूर जाकर मॉस्को में पुतिन से मिलेंगे.

एससीओ समिट में शामिल नहीं होंगे मोदी
दरअसल, जुलाई के फर्स्ट वीक में एससीओ यानी शंघाई कोऑपरेटिव ऑर्गनाइजेशन की बैठक कजाकस्तान में होने वाली है. पहले खबर थी कि पीएम मोदी इस समिट में शामिल होंगे. मगर अब दावा किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3-4 जुलाई को अस्ताना में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे. इसकी वजह चीन और पाकिस्तान बताए जा रहे हैं. इस समिट में शी जिनपिंग और पाक के पीएम शहबाज शरीफ शामिल होंगे. चीन के साथ तकरार और पाकिस्तान के साथ आतंकवाद के मुद्दे को लेकर पीएम मोदी इस समिट से दूरी बना रहे हैं. पीएम मोदी चाहते तो अस्ताना में ही वह पुतिन से मुलाकात कर सकते थे. मगर उन्होंने दोस्त के लिए अलग से समय निकालना ही सही समझा. वैसे भी रूस काफी समय से पीएम मोदी को बुला रहा था. एससीओ समिट में शामिल न होने की एक वजह संसद सत्र भी बताई जा रही है. मोदी लगातार तीसरी बार पीएम बने हैं. ऐसे में संसद सत्र उनके लिए ज्यादा अहम है.

भारत और रूस की दोस्ती और चीन की टेंशन
यूक्रेन जंग के दौरान जब रूस पर प्रतिबंधों की मार पड़ी, भारत ने बिना किसी से डरे उसका साथ दिया. जब कोई तेल खरीदने वाला नहीं था, तब भारत ने उससे तेल खरीदे. इससे रूस को यूक्रेन जंग लड़ने में मदद मिली. रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा उपकरण सप्लायर रहा है. हालांकि, हाल के वर्षों में भारत ने अपनी क्षमताओं को बढ़ाने और विविधता लाने के प्रयास में अमेरिका समेत यूरोपीय देशों के साथ भी अरबों डॉलर के रक्षा सौदे किए हैं. भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से इसमें उल्लेखनीय उछाल आया है, जो रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. भारत और रूस के बीच व्यापार करीब $50 बिलियन के करीब पहुंच गया है. यह इसलिए संभव हुआ है क्योंकि भारत को रियायती दरों पर रूसी तेल और उर्वरकों की आपूर्ति की गई. अब जब पीएम मोदी और पुतिन की एक बार फिर मुलाकात होने वाली है तो चीन का टेंशन बढ़ना लाजिमी है. एससीओ समिट में पीएम मोदी खुद न जाकर एक चीन को एक रणनीतिक संकेत देना चाहते हैं।

Share:

Next Post

PAC जवानों ने काशी विद्यापीठ के हॉस्टल में घुसकर की छात्रों को पीटा, स्थिति तनावपूर्ण

Wed Jun 26 , 2024
वाराणसी (Varanasi)। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय (Mahatma Gandhi Kashi Vidyapeeth University) में पीएसी के जवानों (PAC soldiers) ने छात्रों (Students.) की जमकर पिटाई कर दी. इस घटना में कई छात्र घायल हो गये. विश्वविद्यालय की सूचना पर पहुंची पुलिस ने घटना का विरोध कर रहे छात्रों (Students) को कार्रवाई का आश्वासन देकर किसी तरह […]