नई दिल्ली (New Delhi)। आज पूरी दुनिया में भारतीय व्यंजनों (Indian recipes) का जायका मशहूर है. देसी खानपान के स्वाद, खुशबू और फ्लेवर की बात ही कुछ और होती है. इसमें भारतीय मसालों (Indian spices) का अहम रोल होता है. स्वाद और फेवर बदलने वाले भारतीय मसालों में कसूरी मेथी (Kasoori Methi) का नाम भी शामिल है. सर्द या कम तापमान वाले इलाकों में मेथी की खेती होती है. फिर इसे सुखाकर खाने की खुशबू स्वाद और फ्लेवर बदलने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
भारत में आजादी के पहले से ही कसूरी मेथी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. पूरी दुनिया में भारत से इस मसाले का निर्यात भी होता है, लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि आज भी भारत की कसूरी मेथी बेचने पर सारा क्रेडिट पाकिस्तान को जाता है. आखिर इसके पीछे कहानी क्या है, आज हम आपको विस्तार से बताएंगे.
कभी पूरी तरह भारत की ही थी कसूरी मेथी
आजादी के पहले से ही भारत में कसूरी मेथी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती रही है. पूरी दुनिया उसी समय से कसूरी मेथी की फैन है. इसका उत्पादन और निर्यात दोनों ही बड़े लेवल पर होता है. आजादी से पहले जब पाकिस्तान भी भारत का हिस्सा था, तब कुसूर शहर में ही सबसे ज्यादा मेथी उगाई की जाती थी.
इसी नाम से बिकती भी थी, लेकिन बंटवारे के बाद कुसूर शहर पाकिस्तान के हिस्से चला गया और भारत में सिर्फ कसूरी मेथी का ब्रांड ही रह गया, हालांकि राजस्थान और पंजाब के कई इलाकों में 1947 के दशक से ही खुशबूदार मेथी उगाई जा रही है, जिसकी खूशबू और स्वाद बिल्कुल कुसूर शहर में उगाई जा रही मेथी की तरह ही है.
भारत में कसूरी मेथी की खेती
भारत की आजादी के पहले से ही पंजाब के मलेरकोटला में खुशबूदार मेथी का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है, हालांकि असली देसी वैरायटी तो पाकिस्तान के हिस्से चली गई, लेकिन पंजाब और राजस्थान में हाइब्रिड वैरायटी आज खूब मशहूर है, जिनका स्वाद और खुशबू बिल्कुल कुसूर की मेथी की तरह ही है.
राजस्थान में नागौर के ताऊसर गांव को कसूरी मेथी का बड़ा उत्पादक कहते हैं, यहां की मेथी के पत्तियों का आकार पान जैसा होता है, जिसके चलते अब इसका नाम नागौरी पान मेथी पड़ गया है.
इन दिनों चर्चा में है नागैरी पान मेथी
भारत से देसी कसूरी मेथी बेशक चली गई हो, लेकिन कसूरी मेथी का भारतीय ब्रांड पूरी दुनिया में खूब मशहूर है. आज एमडीएच और कैच मसाले जैसे कई ब्रांड भारतीय किसानों से कसूरी मेथी खरीदकर पूरी दुनिया में निर्यात कर रहे हैं.
यह ब्रांड राजस्थान के नागौर में उगाई जा रही मेथी को भी खरीदते हैं, जिसे नागौरी पान मेथी भी कहा जाता है. किसान तक की रिपोर्ट के मुताबिक, 1970 के दशक में नागौर के ताऊसर गांव में खुशबूदार कसूरी मेथी का उत्पादन चालू हुआ था. उस समय किसान अपने घरों में क्यारियां बनाकर मेथी उगाते थे.
इन किसानों के घरों से निकलकर यह मेथी बाजार में पहुंची और जब मशहूर हुई तो ताऊसर गांव के बाद कुचेरा, खजवाना, जनाणा, रूण, इंदोकली, ढाढरिया कलां, खुड़खुड़ा, देशवाल जैसे कई गांव के किसान इस मेथी को खेतों में उगाने लगे.
सरकार ने भी दे दी पहचान
आज भारत के पास भी अपनी खुशबूदार मेथी है, जिसका नाम है नागौरी पान मेथी. यह नाम साल 2020 में राजस्थान एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड ने दिया और इसे नोटिफाइड कमोडिटी में भी शामिल किया. आज कसूरी मेथी को फसल का दर्जा भी मिला हुआ है, हालांकि इससे पहले पान मेथी को साधारण सी घास ही समझते आ रहे थे.
इसकी अहमियत किसान और वैज्ञानिकों ने समझी और आज जोधपुर के दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी संस्थान में इसकी क्वालिटी को बेहतर बनाने के लिए रिसर्च भी चल रही है. फिलहाल नागौर के किसान अपनी नागौरी पान मेथी को जीआई टैग दिलवाने के प्रयास कर रहे हैं.
क्यों खास है नागौर की पान मेथी
नागौर की पान नेथी के पत्ते काफी छोटे होते हैं, लेकिन आकार पान जैसा होता है, जिसके चलते इसका नाम पान मेथी रखा गया है. आज का नागौर के करीब 3500 हेक्टेयर रकबे में 4000 किसान नागौरी पान मेथी उगा रहे हैं.
यह कारोबार करीब 150 करोड़ रुपये का है. यहां से एमडीएच और कैच मसाले जैसे ब्रांड किसानों से मेथी खरीदकर दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में इसकी प्रोसेसिंग-पैकेजिंग करते हैं और पूरी दुनिया में बेचते हैं.
किसान तक की रिपोर्ट में नागौरी मेथी उगाने वाले किसान बताते हैं कि एक बार फसल लगाने के बाद नागौरी पान मेथी की 7 से 8 कटिंग में प्रोडक्शन मिलता है. यह मेथी 150 से 160 रुपये प्रति किलो के भाव बिकती है. देश के बड़े मसाला ब्रांड नागौर के किसानों से सीधा पान मेथी खरीदते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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