नई दिल्ली। भारत ने घरेलू विनिर्माताओं की शिकायत पर चीन से विटामिन-सी की डंपिंग की जांच शुरू की है। इसका इस्तेमाल दवा कंपनियों द्वारा दवाओं के उत्पादन में किया जाता है। बजाज हेल्थकेयर लिमिटेड ने वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय डीजीटीआर) के समक्ष इस बारे में आवेदन किया था। कंपनी ने आरोप लगाया है कि चीन पीपुल्स रिपब्लिक से विटामिन सी की डंपिंग से घरेलू उद्योग प्रभावित हो रहा है।
कंपनी ने सरकार से विटामिन सी के आयात पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने का आग्रह किया है। डीजीटीआर ने कहा कि आवेदक ने प्रथम दृष्टया जो प्रमाण दिए हैं, उनके आधार पर जांच शुरू की गई है। अपनी जांच में निदेशालय चीन से इस उत्पाद की कथित डंपिंग के प्रभाव का पता लगाएगा। यदि डीजीटीआर को लगता है कि डंप़िंग से घरेलू विनिर्माता प्रभावित हो रहे हैं तो वह डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश करेगा। यदि यह शुल्क लगाया जाता है, तो यह घरेलू उद्योग को हो रहे नुकसान की भरपाई करने के लिए पर्याप्त होगा।
डीजीटीआर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश करता है। वित्त मंत्रालय डंपिंग रोधी शुल्क लगाता है। अप्रैल 2019 से लेकर मार्च 2020 के बीच के समय के लिए यह जांच की जाएगी। इस दौरान अप्रैल 2016 से मार्च 2019 के दौरान की भी जांच होगी। डंपिंग उसे कहते हैं, जब एक देश या कंपनी दूसरे देश के घरेलू बाजार की कीमत से कम कीमत पर किसी उत्पाद का निर्यात करता है। डंपिंग से आयातक देश में उस उत्पाद की निर्माता कंपनियों के मार्जिन और लाभ पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
वैश्विक व्यापार नियमों के मुताबिक एक देश ऐसे डंपिंग पर रोक लगाने के लिए अतिरिक्त शुल्क लगा सकता है ताकि घरेलू विनिर्माताओं को एक-समान बाजार पहुंच हासिल हो सके। एंटी-डंपिंग ड्यूटी को वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन से मान्यता प्राप्त है। भारत और चीन दोनों ही डब्ल्यूटीओ के सदस्य है, जो वैश्विक व्यापार के नियम बनाती है।
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