नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने सोमवार को भूमि क्षरण (Land Degradation) और मरुस्थलीकरण (Desertification) का जिक्र करते हुए भारत की कोशिशों को रेखांकित किया, जो यूएन कन्वेंशन टू कॉमबैट डिजर्टिफिकेशन (UNCCD) के उद्देश्यों के अनुरूप है. सऊदी अरब के रियाद में यूएनसीसीडी के CoP 16 में सूखे के प्रति सहनशीलता पर मंत्रिस्तरीय वार्ता के दौरान भारत की ओर से अपनी बात रखते हुए केंद्रीय मंत्री यादव ने बंजर होती जमीन के मरुस्थलीकरण होने से निपटने में भारत की कोशिशों के बारे में बताया.
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, “हमारी यात्रा प्रतिबद्धता (Commitment), नवाचार (Innovation) और सतत विकास (Sustainable Development) की एक परिवर्तनकारी कहानी का प्रतिनिधित्व करती है. CoP 5 में भूमि क्षरण को एक अहम पर्यावरणीय चुनौती के रूप में वैश्विक मान्यता दिए जाने से लेकर CoP 10 में समुदाय-संचालित भूमि बहाली पर जोर देने, और उसके बाद CoP 14 में जमीन बहाली को एक अहम जलवायु परिवर्तन रणनीति के रूप में मान्यता देने से लेकर CoP 15 में क्षरित भूमि को बहाल करने की वैश्विक प्रतिबद्धता तक, हम सभी इस यात्रा में समान रूप से भागीदार रहे हैं.”
साथ ही उन्होंने मरुस्थलीकरण और गरीबी के बीच संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने भूमि क्षरण को एक सामाजिक-आर्थिक मुद्दे के रूप में मान्यता दी है और CoP 14 में भारत की अध्यक्षता को याद किया, जिसके दौरान देश ने 2030 तक 260 लाख हेक्टेयर बंजर भूमि को फिर से खेती करने योग्य बहाल करने की प्रतिबद्धता जताई थी.
बढ़ते मरुस्थलीकरण को लेकर निराशा जताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “जिनेवा में CoP के दौरान मरुस्थलीकरण और गरीबी के बीच अटूट संबंध को पहचानते हुए, भारत ने भी महसूस किया कि जमीनों का बंजर होना महज एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर सामाजिक-आर्थिक चुनौती भी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील और प्रेरक नेतृत्व में CoP 14 में भारत की अध्यक्षता के दौरान, हमारी यात्रा में एक अहम क्षण बन गया, जहां हमने 2030 तक 260 लाख हेक्टेयर बंजर भूमि को फिर से खेती योग्य बहाल करने की अपनी प्रतिबद्धता को पेश किया.”
उन्होंने आगे कहा कि जमीन के बंजर होने के मुद्दों के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने और अन्य देशों के साथ भारत की विशेषज्ञता को साझा करने में मदद करने के लिए केंद्र सरकार ने सेंटर ऑफ एक्सेलेंस ऑन सस्टेनेबल लैंड मैनेजमेंट की स्थापना की घोषणा की.”
केंद्रीय मंत्री ने भारत द्वारा अपने वादों को पूरा करने के ट्रैक रिकॉर्ड को बनाए रखने पर गर्व व्यक्त किया और बताया कि सेंटर ऑफ एक्सेलेंस को पहले ही स्थापित कर दिया गया है, जिसमें क्षमता निर्माण, निर्माण और बंजर हो चुकी जमीन के पुनरुद्धार को लेकर टेक्नोलॉजी बेस्ड रणनीतियों के कार्यान्वयन के लिए कई पहल की गई हैं.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved