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    दुनिया में प्‍याज का सबसे बड़ा उत्पादक भारत, फिर भी बढ़ रहे दाम, जानिए वजह ?

  • June 29, 2024

    नई दिल्‍ली (New Delhi) । टमाटर (Tomato) के बाद अब लोगों को प्याज की कीमतें (Onion Price) रुलाने वाली हैं. प्याज की बढ़ती कीमतों के संकेतों के बीच सरकार (Government) ने इसके निर्यात (export) पर शुल्क लगा दिया है. सरकार ने ये कदम प्याज की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए उठाया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ये पहली बार है जब प्याज एक्सपोर्ट पर शुल्क लगाया गया है. घरेलू बाजार में प्याज कीमतों में तेजी नजर आने लगी है. राजधानी दिल्ली में शनिवार को प्याज 40 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव तक पहुंच गया.


    कीमतों को काबू में करने की कोशिश
    सरकार ने प्याज के निर्यात पर अंकुश लगाने के लिए हमेशा मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस टूल का इस्तेमाल किया था. हालांकि, इस साल पहली बार बाहरी शिपमेंट पर प्रभावी नियंत्रण के लिए निर्यात शुल्क लगाया गया है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा रखे गए आंकड़ों के अनुसार, प्याज की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत शनिवार को 30.72 रुपये प्रति किलोग्राम थी और अधिकतम कीमत 40 रुपये प्रति किलोग्राम और न्यूनतम कीमत 15 रुपये प्रति किलोग्राम थी.

    महंगाई दर में इजाफा
    आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में शनिवार को प्याज 40  रुपये प्रति किलोग्राम पर था. व्यापार आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय राजधानी में प्याज की कीमतें 50 रुपये प्रति किलोग्राम हैं. चालू खरीफ सीजन में प्याज कवरेज में कमी की खबरों के बीच प्याज की कीमतें बढ़ने लगी हैं.

    प्याज उत्पादन में टॉप पर भारत
    प्याज के उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में टॉप पर है. भारत में सबसे अधिक प्याज का उत्पादन महाराष्ट्र में होता है. पिछले साल भारत में होने वाले प्याज के कुल उत्पादन में महाराष्ट्र की 43 फीसदी हिस्सेदारी थी. मध्यप्रदेश की 16 फीसदी, कर्नाटक की 9 फीसदी और गुजरात की भी 9 फीसदी हिस्सेदारी थी.

    जमकर हुआ एक्सपोर्ट
    अधिकारियों ने कहा कि इस साल जनवरी-मार्च अवधि में निर्यात असाधारण रूप से उच्च स्तर पर लगभग 8.2 लाख टन रहा है. जबकि पिछली समान अवधि में यह 3.8 लाख टन था. सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में मॉनसून के देरी से आने के कारण सुस्त खरीफ बुआई की खबरों के बीच प्याज की खुदरा कीमत एक महीने पहले के 25 रुपये की तुलना में बढ़कर 30 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है. इसके अलावा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में अप्रैल में बेमौसम बारिश के कारण भंडारित रबी फसलों में उच्च नमी की मात्रा ने उपज के शेल्फ जीवन को प्रभावित किया है.

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