काबुल । अफगानिस्तान (Afghanistan) को सबसे ज्यादा मदद देने वाले देशों (Countries Giving Maximum Help) में भारत भी एक है (India is also One) और उसका 5वां स्थान है (His 5th Place) । भारत की ओर से (From India) अफगानिस्तान को (To Afghanistan) 3 अरब डॉलर की मदद दी गई है ($3 Billion in Aid)।
भारत ने अफगानिस्तान में इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के साथ ही मेडिकल स्टाफ और खाद्यान्न तक में मदद की है। यही नहीं अफगानिस्तान की नई संसद को भी भारत ने ही तैयार किया है, जिसे पिछले दिनों गिफ्ट किया गया था। इसके अलावा बड़ी संख्या में अफगानी नागरिक इलाज के लिए भारत आते रहे हैं। वहीं भारतीय कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में भी अफगानियों की अच्छी खासी संख्या है।
अफगानिस्तान में तालिबान का राज स्थापित होने के बाद से भारत के रिश्ते सरकार के साथ पहले जैसे नहीं रह गए हैं। इसके बाद भी अफगानिस्तान के लोग भारत को ही ‘सबसे अच्छे’ दोस्त के तौर पर देखते हैं। हाल ही में किए गए एक सर्वे में यह जानकारी सामने आई है। सर्वे के डेटा के मुताबिक 67 फीसदी अफगानी मानते हैं कि अमेरिका की बिना किसी योजना के अफगानिस्तान से वापसी ने मुश्किलें पैदा कीं।
इन लोगों का कहना है कि अमेरिका के गलत समय पर और अचानक अफगानिस्तान से निकलने के चलते पाकिस्तान और चीन को मौका मिला। इन दोनों देशों ने ही चीन को प्रोत्साहित किया ताकि वह अफगानिस्तान पर कब्जा जमा सके। अफगानिस्तान में भारत के गहरे रणनीतिक हित हैं और उसने बड़े पैमाने पर निवेश किया है। अफगानिस्तान और भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। पाकिस्तान की ओर से अफगानिस्तान और भारत के संबंधों को कमजोर करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन इसके बाद भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। यहां तक कि अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान ने भी भारत से संबंधों को सुधारने की अपील की है।
देहरादून स्थिति इंडियन मिलिट्री एकैडमी में भी अफगानी कैडैट ट्रेनिंग लेते रहे हैं। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भी भारत ने बड़े पैमाने पर मदद भेजी है। बड़ी मात्रा में गेहूं भारत की ओर से अफगानिस्तान भेजा गया है। हालांकि अहम बात यह है कि अफगानियों ने पिछली सरकारों के बारे में भी राय जाहिर की है। सर्वे में शामिल 78 फीसदी लोगों का कहना है कि पिछली सरकार भी भ्रष्ट थी और विदेशों से आई मदद आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती थी। इनमें से 72 फीसदी लोगों का कहना है कि स्थानीय नेताओं के भ्रष्ट होने के चलते ही तालिबान को देश पर कब्जा करने का मौका मिला।
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