नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के ‘मेक इन इंडिया’ (Make in India) अभियान के सकारात्मक नतीजे एक नई रिपोर्ट में सामने आये हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत सैन्य हथियार बनाने में आत्मनिर्भरता (India’s self-reliance in making military weapons) की तरफ तेजी से बढ़ रहा है और यही वजह है कि दुनिया की टॉप 100 कंपनियों में तीन भारतीय कंपनियां (Three Indian Companies) भी शामिल हो गई हैं. इन कंपनियों ने हथियार, सैन्य विमान और उपकरण बनाने वाली टॉप 100 वैश्विक कंपनियों की सूची (List of 100 global companies) में जगह बनाई है. स्वीडिश थिंक-टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट Swedish think-tank Stockholm International Peace Research Institute (SIPRI) की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है.
घरेलू कंपनियों के समर्थन की नीति
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय कंपनियों की कुल हथियारों की बिक्री $6.5 बिलियन (लगभग 48,750 करोड़ रुपये) है, जो 2019 की तुलना में 2020 में 1.7 प्रतिशत अधिक थी. इतना ही नहीं ये आंकड़ा टॉप 100 कंपनियों की कुल (बिक्री) का 1.2 प्रतिशत है. बता दें कि 2020 में मोदी सरकार ने घरेलू कंपनियों का समर्थन करने और हथियारों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए सौ से अधिक विभिन्न प्रकार के सैन्य उपकरणों के आयात पर चरणबद्ध प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी.
US के बाद China का नंबर
अन्य देशों की बात करें तो चीन अब हथियार और सैन्य उपकरण बनाने में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है. टॉप 100 में शामिल पांच चीनी कंपनियों की संयुक्त हथियारों की बिक्री 2020 में अनुमानित $ 66.8 बिलियन थी, जो 2019 की तुलना में 1.5 प्रतिशत अधिक है. रिपोर्ट के अनुसार, कुल टॉप 100 हथियारों की बिक्री में 13 फीसदी हिस्सेदारी के साथ चीनी कंपनियों की कुल हथियारों की बिक्री 2020 में अमेरिकी कंपनियों से कम और ब्रिटिश कंपनियों से ज्यादा थी.
China पर ये सनक है सवार
सभी पांच चीनी हथियार कंपनियां शीर्ष 20 में हैं, जबकि इनमें से तीन टॉप 10 में. 2020 में 17.9 बिलियन डॉलर की अनुमानित हथियारों की बिक्री के साथ NORINCO (7वें स्थान पर) चीन की सबसे बड़ी हथियार कंपनी है. चीन के मुख्य सैन्य विमान निर्माता एवीआईसी (8वें स्थान पर) के लिए हथियारों की अनुमानित बिक्री 2020 में 1.4 प्रतिशत घटकर 17 अरब डॉलर रह गई है. गौरतलब है कि चीन लगातार हथियारों की होड़ में लगा हुआ है, उस पर खुद को सबसे शक्तिशाली साबित करने की सनक सवार है.
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