नई दिल्ली: दुनिया के उभरते शेयर बाजारों में अमेरिका और यूरोप के निवेशक सबसे ज्यादा निवेश करते हैं. यही वजह है कि भारत, चीन जैसे बाजार विदेशी निवेशकों का स्वागत बाहें फैलाकर किया जाता है. विदेशी निवेशकों का होना और ना होगा इन बाजारों के आंकड़ों पर भी असर डालता है. अगर बात जून और भारत के आंकड़ों की करें तो शेयर बाजार के लिए काफी खास रहा. इसी महीने शेयर बाजार ने 63 हजार का लेवल पार किया और उसके बाद महीना खत्म होने से पहले 64 हजार अंकों का लेवल ही पार नहीं किया बल्कि 65 हजार अंकों के करीब भी पहुंच गया.
बाजार में तेजी की प्रमुख वजह विदेशी निवेशकों का भरोसा रहा है. जून के महीने में विदेशी निवेशकों ने 47 हजार करोड़ रूपये का निवेश किया. जिसकी वजह बाजार में तेजी देखने को मिली. 2023 के किसी भी महीने में इतनी बडी रकम निवेश नहीं की गई है. ताज्जुब की बात तो ये है कि साल 2023 में विदेशी निवेशकों ने जितना निवेश किया है, उसका 50 फीसदी से ज्यादा निवेश जून के महीने में ही देखने को मिला हैा इसका मतलब आप समझते हैं कि किस तरह से भारतीय शेयर बाजार विदेशी निवेशकों के लिए किस तरह से मुफीद बना हुआ है.
भारत के बाजारों में विदेशी निवेशकों की खरीदारी से चीन के माथे पर बल पडे हुए हैं. उसका कारण भी है, चीन का बाजार पूरी तरह से ठंडा पडा हुआ और विदेशी निवेशक अपना पैसा लगातार निकाल रहे हैं. इसके कई कारण माने जा रहे हैं. जिसमें सबसे अहम चीन के इकोनॉमिक इंडिकेटर्स हैं. चीन के जीडीपी के आंकडे उतने बेहतर नहीं है. साथ ही मैन्युफैक्चरिंग के आंकडे भी उतने अच्छे देखने को नहीं मिल रहे हैं. चीन ओपन होने के बाद भी इकोनॉमिक स्लोडाउन के दौर से गुजर रहा है. यही चीन विदेशी निवेश के भारत के आंकडों को देखकर घबरा रहा है. आइए पहले भारत में विदेशी निवेश के आंकडों को देखते हैं जिसकी वजह से चीन के माथे पर बल पडे हुए हैं.
भारत में विदेशी निवेशकों ने किया रिकॉर्ड इंवेस्टमेंट
जून 2023 में मजबूत एफपीआई फ्लो की वजह से बेहतरीन महीना बन गया है. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने जून में भारतीय इक्विटी में 47,148 करोड़ का निवेश किया, जो साल की सबसे अधिक मासिक खरीदारी है. यह लगातार चौथा महीना है, जब एफपीआई डॉमेस्टिक शेयर बाजार में निवेश किया है. चालू वर्ष की पहली छमाही में एफपीआई ने अब तक 76,407 करोड़ का निवेश किया है.
देश के मैक्रोज में सुधार से निरंतर खरीदारी को बढ़ावा मिल सकता है. जून में, सेंसेक्स और निफ्टी 50 दोनों क्रमशः 64,768.58 और 19,201.70 के नए रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गए हैं. मई 2023 में, एफपीआई ने भारतीय शेयरों में 43,838 करोड़ का निवेश किया था. खास बात तो ये है साल भर पहले जून 2022 में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से 50 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा निकाल लिए थे.
चीन पर कैसे फेल हुई विदेशी निवेशकों की पॉलिसी
एफपीआई फ्लो के बारे में बात करते हुए, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रैटिजिस्ट डॉ. वीके विजयकुमार के अनुसार, जनवरी और फरवरी 2023 में चीन के बाजार में बड़े पैमाने पर विदेशी निवेशकों ने निवेश किया था, जो कि कोविड के बाद चीन के खुलने और ग्रोथ और कमाई में तेजी की उम्मीदों के कारण हुआ. एफपीआई ने उस ‘भारत बेचो, चीन खरीदो’ सरीखी रणनीति थी. जनवरी और फरवरी में भारत के शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों ने संयुक्त रूप से 34146 करोड़ रूपये निकाल लिए थे.
उस समय यह भी कहा जा रहा था कि भारतीय शेयर बाजार ओवर वैल्यूड है और चीन में निवेश करना काफी सस्ता है. विदेशी निवेशकों की यह पॉलिसी फेल हाे गई. इसका कारण है जिस तरह के इकोनॉमिक इंडिकेटर्स के आंकडे भारत के देखने को मिले, चीन वैसा प्रदर्शन नहीं कर सका. चीन की इकोनॉमी लगातार संघर्ष करती हुई दिखाई दी और अनुमान है कि आने वाले कई वर्षों तक ग्रोथ रेट धीमा रह सकता है.
इस 93 हजार करोड से ज्यादा का हो चुका है निवेश
कुल मिलाकर, जून महीने में एफपीआई ने इक्विटी, डेट, डेट-वीआरआर और हाइब्रिड सहित भारतीय बाजार में 56,258 करोड़ रूपये का निवेश किया. ऐसा शेयरों में जोरदार खरीदारी के कारण हुआ. जनवरी से जून 2023 तक, ओवरऑल मार्केट में एफपीआई ने 93,349 करोड़ का निवेश किया है. जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार में निवेश जारी रह सकता है.
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