• img-fluid

    भारत ने श्रीलंका को तत्काल पहुंचाया 100 टन नैनो लिक्विड यूरिया, आयात पर प्रतिबंध के कारण हो गई थी भारी किल्लत

    November 04, 2021

    नई दिल्ली: नैनो लिक्विड यूरिया की मांग देश के साथ-साथ विदेशों में भी होने लगी है. भारत ने गुरुवार को वायुसेना के दो जहाजों के जरिए श्रीलंका को 100 टन नैनो लिक्विड यूरिया की सप्लाई की. श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने ट्विटर पर बताया कि यह लिक्विड यूरिया की यह डिलिवरी श्रीलंकाई सरकार द्वारा मांगी गई तत्काल मदद के बाद की गई. भारत में इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) ने इस साल किसानों के लिए नैनो लिक्विड यूरिया की शुरुआत की थी.

    भारतीय उच्चायोग ने ट्विटर पर लिखा, “रोशनी के त्योहार दीपावली के दिन भारतीय वायुसेना ने एक बार फिर श्रीलंका के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया है. श्रीलंका सरकार द्वारा भारत से तत्काल रूप से मांगी गई मदद के जवाब में, भारतीय वायुसेना के दो जहाज आज 100 टन नैनो यूरिया लेकर कोलंबो पहुंचे.”

    श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने इस साल मई में रासायनिक उर्वरकों के आयात पर पाबंदी लगा दी थी. अब कई महीनों के बाद सरकार ने नैनो लिक्विड यूरिया का आयात किया है. सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद श्रीलंका में यूरिया की भारी कमी हो गई थी. भारत ने अब श्रीलंका को नैनो यूरिया की सप्लाई बढ़ाने का फैसला किया है.


    इस साल मई में हुई थी नैनो लिक्विड यूरिया की शुरुआत
    IFFCO ने इसी साल 31 मई को किसानों के लिए विश्व के पहले नैनो लिक्विड यूरिया की शुरुआत की थी. इसे सामान्य यूरिया के प्रयोग के मुकाबले कम से कम 50 फीसदी तक कमी लाने के मकसद से तैयार किया गया है. इसके 500 मिली की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करता है.

    नैनो लिक्विड यूरिया को स्वदेशी और प्रोपाइटरी तकनीक के माध्यम से कलोल स्थित नैनो जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र में तैयार किया गया है. नैनो यूरिया से पौधों को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होता है. मिट्टी में यूरिया के अधिक इस्तेमाल में कमी आती है. जबकि सामान्य यूरिया के अधिक प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषित होता है, मिट्टी की सेहत को नुकसान पहुंचता है. पौधों में बीमारी और कीट का खतरा अधिक बढ़ जाता है. लेकिन दावा है कि नैनो यूरिया लिक्विड के इस्तेमाल से ऐसा नहीं होगा.

    परम्परागत यूरिया का लगभग 30-50 फीसदी नाइट्रोजन ही पौधों के काम आता है. बाकी वाष्पीकरण और पानी व मिट्टी के बहाव और कटाव आदि के बीच रासायनिक परिवर्तनों के चलते बेकार चला जाता है. तरल नैनो यूरिया से पोषक तत्वों का सदुपायोग बढ़ता है और यह लम्बे समय में प्रदूषण और वायुमंडल गर्म होने की समस्या को कम करने में सहायक हो सकता है.

    Share:

    7th Pay Commission: इन सरकारी कर्मचारियों की बढ़ी सैलरी, DA बढ़ने से खाते में इतनी आएगी पगार

    Thu Nov 4 , 2021
    नई दिल्ली: केंद्रीय कर्मचारियों और राज्य सरकार के कर्मचारियों को बंपर दिवाली गिफ्ट मिल रहा है. पिछले कुछ महीने से जारी यह वृद्धि अब तक चली आ रही है. समय-समय पर सरकारें अपने कर्मचारियों के लिए डीए, डीआर और सैलरी बढ़ाने का ऐलान कर रही है. कुछ वृद्धि तो कुछ महीने पहले से जोड़कर प्रभावी […]
    सम्बंधित ख़बरें
    खरी-खरी
    सोमवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives

    ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved