नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और आयुष मंत्रालय (Aayush Ministry) के बीच गुजरात में पारंपरिक चिकित्सा के वैश्विक केंद्र (Global Centre for Traditional Medicine) की स्थापना को लेकर हुये समझौते पर प्रसन्नता व्यक्त करके हुये कहा कि यह भारत के लिये गौरव की बात है (India Honoured)। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जतायी कि यह केंद्र धरती को स्वस्थ बनाने और वैश्विक हित में देश की समृद्ध पारम्परिक चिकित्सा विधियों का दोहन करने में योगदान देगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ के ट्वीट का उत्तर देते हुये कहा, भारत अत्याधुनिक डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना को लेकर बहुत सम्मानित महसूस कर रहा है। यह केंद्र एक स्वस्थ ग्रह के निर्माण और वैश्वित हित के लिये हमारी समृद्ध पारंपरिक विधियों के दोहन की दिशा में योगदान करेगा। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा,भारत की पारम्परिक औषधियां और स्वास्थ्य विधियां विश्व स्तर पर काफी लोकप्रिय हैं। यह डब्ल्यूएचओ केंद्र हमारे समाज में खुशहाली फैलाने की दिशा में एक लंबा सफर तय करेगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट करके कहा,” भारत के ज्ञान से दुनिया का कल्याण। भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद ने दुनिया में अपनी अलग पहचान बनायी है। यह केंद्र वैश्विक समुदाय के लिये बहुत लाभदायक होगा और इससे पारंपरिक चिकित्सा का विस्तार होगा।”
गौरतलब है कि पिछले महीने ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस केंद्र की स्थापना को मंजूरी दी थी। इस केंद्र पर केंद्र सरकार 25 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी। इस केंद्र का प्राथमिक उद्देश्य आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से दुनिया भर से पारंपरिक चिकित्सा की क्षमता का दोहन करना और विश्व भर के सभी समुदायों के समग्र स्वास्थ्य में सुधार लाना है। इस समझौते पर 25 मार्च को जिनेवा में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा और डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. ट्रेडोस एडन गेब्रेयसस ने हस्ताक्षर किये।
भारत सरकार की पहल के महत्व को रेखांकित करते हुये डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. ट्रेडोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा कि आधुनिक विज्ञान और समानता तथा स्थिरता के सिद्धांतों पर चित्रण करके पारंपरिक चिकित्सा की क्षमता का दोहन 21वीं सदी में स्वास्थ्य के लिये एक क्रांतिकारी बदलाव सिद्ध होगा।
जीसीटीएम विश्व भर में पारंपरिक चिकित्सा के लिये पहला और एकमात्र वैश्विक केंद्र (कार्यालय) होगा। यह पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और उत्पादों पर नीतियों और मानकों के लिये ठोस आधार साक्ष्य के निर्माण पर फोकस करेगा। इस केंद्र का शिलान्यास 21 अप्रैल, 2022 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में किया जायेगा।
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