बीजिंग/नई दिल्ली। पूरी दुनिया में चल रही उथल पुथल और तनाव के माहौल के बीच कंबोडिया की राजधानी नामपेन्ह में भारत व अमेरिका के विदेश मंत्रियों की मुलाकात (meeting of foreign ministers of india and america) हुई। दोनों नेताओं ने वैश्विक चुनौतियों पर मंथन करने के साथ इनका मिलकर सामना करने की बात कही।
नामपेन्ह में दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान (ASEAN) (एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट नेशन्स) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री डॉ.एस जयशंकर की मुलाकात अपने अमेरिकी समकक्ष एंटोनी ब्लिंकन से हुई। दोनों नेताओं ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की हाल ही में हुई ताइवान यात्रा पर चीन के आक्रोश और उसके बाद उत्पन्न स्थितियों पर भी चर्चा रही।
Departing Cambodia after a brief, but very productive visit. Here are some highlights: pic.twitter.com/adf6iKrA2g
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) August 5, 2022
अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, ब्लिंकन ने बैठक में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि अमेरिका और भारत हिंद-प्रशांत में आसियान की केंद्रीय भूमिका के प्रबल समर्थक हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत के लिए एक साझा दृष्टिकोण है, जिस पर हम हर दिन कई अलग-अलग तरीकों से काम करते हैं। हमारे पास कुछ तात्कालिक चुनौतियां हैं, जिनसे हम दोनों चिंतित हैं। आसियान की बैठकों में भाग लेना हमारे लिए एक साथ आने और अपने सबसे करीबी सहयोगियों के साथ चर्चा का अवसर है।
An evening of warmth, friendship and conversations at Phnom Penh.
ASEAN remains the crossroads of the larger region. It’s centrality is so evident. pic.twitter.com/qrZtXUGB9Z
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) August 5, 2022
एक चीन नीति को लेकर धमकाने वाले चीन को भारत ने चुप रहकर करारा जवाब दिया है। चीन के कर्ज में डूबे पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों ने ताइवान संकट के बाद जहां ‘एक चीन नीति’ का जहां खुलकर समर्थन किया है, वहीं भारत ने इस पूरे मामले पर कोई बयान नहीं दिया है। यही नहीं चीन ने पाकिस्तान जैसे अपने ‘आर्थिक गुलामों’ के जरिए कोशिश की कि दुनिया में एक माहौल बनाया जाए और ‘एक चीन नीति’ के लिए खुलकर समर्थन हासिल किया जा सके। भारत ने चीन के उम्मीदों पर पानी फेर दिया। वहीं भारत ने सीमा को लेकर हो रही बातचीत के संवेदनशील मुद्दे को देखते जी7 देशों की तरह से चीन की आलोचना भी नहीं की है।
भारतीय विदेश मंत्री ने ट्वीट कर इस मुलाकात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नामपेन्ह में आसियान की मंत्रिस्तरीय बैठक से पहले उनके व अमेरिकी विदेश मंत्री के बीच गर्मजोशी से बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि यह साल बहुत व्यस्त रहा है। दोनों नेताओं ने कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मसलों पर विचार विमर्श किया। तय हुआ कि आगे भी मंथन जारी रहेगा।
विदित हो कि भारत जहां साल 1949 से ही एक चीन नीति का पालन कर रहा है और संकेत दिया है कि वह बीजिंग की सरकार के अलावा किसी और को मान्यता नहीं देता है। साथ ही भारत ने ताइवान के साथ केवल व्यापार और सांस्कृतिक संबंध ही रखे हैं। इस बीच भारत ने साल 2008 से आधिकारिक बयानों और संयुक्त घोषणापत्रों में एक चीन नीति का जिक्र करना बंद कर दिया है। दरअसल, चीन ने उस समय अरुणाचल प्रदेश को अपना इलाका बताना शुरू कर दिया था और राज्य के कई इलाकों का नाम बदलना शुरू कर दिया था। उसने अरुणाचल और जम्मू-कश्मीर के भारतीय नागरिकों को स्टेपल वीजा जारी करना शुरू कर दिया था।
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