न्यूयॉर्क। भारत (India) ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (United Nations Human Rights Council – UNHRC) में श्रीलंका (Sri Lanka) में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने वाले एक प्रस्ताव पर भाग नहीं लिया। लेकिन श्रीलंकाई सरकार से तमिल अल्पसंख्यकों के प्रति प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का आग्रह किया। इस दौरान भारत ने UNHRC में चीन के शिनजियांग क्षेत्र (China Xinjiang region) में मानवाधिकार की स्थिति पर बहस के लिए बुलाए गए एक मसौदा प्रस्ताव पर भी भाग नहीं लिया।
भारत ने चीन के अशांत शिनजियांग क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया। मानवाधिकार समूह संसाधन संपन्न उत्तर-पश्चिमी चीनी प्रांत में (मानवाधिकार हनन की) घटनाओं को लेकर वर्षों से खतरे की घंटी बजाते रहे हैं। इनका आरोप है कि चीन ने 10 लाख से अधिक उइगरों को उनकी इच्छा के विरुद्ध कथित ‘पुनर्शिक्षा शिविरों’ में हिरासत में रखा है।
चीन हमेशा भारत के मसौदों पर अड़ंगा लगाता रहा है। लेकिन भारत ने चीन के खिलाफ मतदान से परहेज के पीछे की वजह नहीं बताई है। मसौदे पर फाइनल वोट चीन के पक्ष में गया। 47 सदस्यीय परिषद में यह मसौदा प्रस्ताव खारिज हो गया, क्योंकि 17 सदस्यों ने पक्ष में तथा चीन सहित 19 देशों ने मसौदा प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान किया। भारत, ब्राजील, मैक्सिको और यूक्रेन सहित 11 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। मसौदा प्रस्ताव का विषय था- ‘‘चीन के जिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र में मानवाधिकारों की स्थिति पर चर्चा।’’
मसौदा प्रस्ताव कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, ब्रिटेन और अमेरिका के एक कोर समूह द्वारा पेश किया गया था और तुर्की सहित कई देशों ने इसे सह-प्रायोजित किया था। ह्यूमन राइट्स वॉच में चीन की निदेशक सोफी रिचर्डसन ने एक बयान में कहा कि अपने इतिहास में पहली बार, संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार निकाय ने चीन के जिनजियांग क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर बहस करने के प्रस्ताव पर विचार किया। चीन में उइगरों और अन्य मुस्लिम बहुल समुदायों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोपों को 2017 के अंत से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार तंत्र के ध्यान में लाया जाता रहा है।
इस मामले से परिचित लोगों ने कहा कि भारत ने पारंपरिक रूप से यूएनएचआरसी में किसी देश-विशेष के खिलाफ लाए गए प्रस्तावों के खिलाफ मतदान किया है या इससे परहेज किया है। यह समझा जाता है कि यूएनएचआरसी के भीतर चीन की उपस्थिति को देखते हुए भारत ने फैसला किया क्योंकि भारत द्वारा शिनजियांग मुद्दे पर चीन के खिलाफ मतदान करने का मतलब था कि चीन भी इसी तरह के अन्य मुद्दों पर भारत के खिलाफ वोटिंग कर सकता है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved