नई दिल्ली । इजरायल गाजा पट्टी(israel gaza strip) से हमास(Hamas) को खत्म करने के अपने अभियान के बीच भारत से लगातार हमास को एक आतंकवादी संगठन घोषित(Declared a terrorist organisation) करने की मांग कर रहा है। हाल ही में, इजरायल ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में “कश्मीर एकजुटता दिवस” पर हमास नेताओं की उपस्थिति को लेकर चिंता जताई है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह पहली बार था जब हमास के नेता पीओके पहुंचे और उन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों, जैसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के सदस्यों के साथ देखा गया। इजराइल ने इस मुद्दे पर भारत के साथ चर्चा की है।
भारत की रणनीतिक स्थिति
भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर इजरायल को हमेशा समर्थन दिया है और 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हुए हमास के हमले की कड़ी निंदा की थी। हालांकि, भारत ने अब तक हमास को एक आतंकवादी संगठन के रूप में आधिकारिक रूप से प्रतिबंधित नहीं किया है, जबकि अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित कई देश इसे पहले ही आतंकी संगठन घोषित कर चुके हैं।
इजरायल ने 2023 में पाकिस्तान-आधारित लश्कर-ए-तैयबा पर प्रतिबंध लगाया था, जो 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार है। उस समय भारत में इजरायल के राजदूत नओर गिलोन ने उम्मीद जताई थी कि भारत भी हमास को प्रतिबंधित करेगा। उन्होंने यह भी कहा था कि इजरायल ने हमास की आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित जानकारी भारतीय सरकार को सौंपी है।
क्या भारत हमास पर प्रतिबंध लगाएगा?
भारतीय संसद में भी इस सवाल को उठाया गया है कि क्या भारत हमास पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है। हालांकि, इस पर विदेश मंत्रालय का आधिकारिक बयान यही रहा है कि किसी संगठन को आतंकवादी घोषित करने का निर्णय ‘गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम’ (UAPA) के तहत संबंधित सरकारी विभागों द्वारा किया जाता है।
भारत का संतुलित दृष्टिकोण
भारत आतंकवाद के खिलाफ इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता रहा है, लेकिन उसने फिलिस्तीनी लोगों के साथ अपने संबंध भी बनाए रखे हैं। भारत बार-बार दो-राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन करता रहा है और एक स्वतंत्र, संप्रभु और सुरक्षित फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के पक्ष में है, जो इजरायल के साथ शांति से सह-अस्तित्व में रहे।
भारत संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन की सदस्यता का भी समर्थन करता है। ऐसे में, भारत का संतुलित रुख उसे इस मामले में किसी भी एकतरफा निर्णय से बचाए रखता है। हालांकि, पीओके में हमास नेताओं की उपस्थिति के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत इस पर अपने रुख में कोई बदलाव करता है या नहीं।
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