नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। सरहद पर चीन ऐसी हरकतें कर रहा है जिससे एलएसी का माहौल बहुत गर्म हो चुका है। चीन की सेना अपनी सैन्य ताकत दिखाकर भारत को डराना चाहता था लेकिन भारत के मुंहतोड़ जवाब से चीन की घिग्गी बंध गई। भारतीय जवानों के पराक्रम के आगे चीन की पीएलए गाने बजाने तक में उतर आई। अब चीन की सेना का कलेजा और भी ज्यादा कांपने वाला है। क्योंकि देश का नवीनतम फाइटर जेट्स, ओमानी-रोल राफेल ने अब लद्दाख के ऊपर आसमान में उड़ रहा है।
पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों में चीन और भारत के बीच लगातार तनातनी चल रही है। रविवार को रक्षा सूत्रों ने कहा कि सीमा पर कुछ मिराज विमान भी उड़ान भरते देखे गए हैं। वायुसेना ने बीते 10 सितंबर को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर आयोजित एक समारोह में राफेल विमानों को वायुसेना में शामिल किया था। इससे पूर्व जुलाई के आखिर में फ्रांस से पांच राफेल विमान अंबाला पहुंचे थे।
लद्दाख की पहाड़ियों में राफेल की उड़ान
सूत्रों के मुताबिक राफेल पायलटों ने अंबाला से लद्दाख तक विमानों को उड़ाया। दरअसल, ये एक प्रैक्टिस के तौर पर किया गया। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि राफेल पायलट वहां के मौसम और वातावरण से परिचित हो जाएं। अगर चीन किसी भी तरह की गुस्ताखी करे और राफेल की जरूरत पड़े तो उसके पायलट इस वातावरण से पहले से ही परिचित हों।
750-1650 किमी तक राफेल का सफर
मिडएयर रीफ्यूलिंग के बिना 4.5-जनरेशन के राफेल्स की सीमा 780-किमी से 1,650 किमी तक होती है। ये अलग-अलग ऑपरेशन पर निर्भर करता है। इसके अलावा लड़ाकू विमानों को 300 किलोमीटर से अधिक लंबी दूरी के `स्कैल्प ‘एयर-टू-ग्राउंड क्रूज़ मिसाइलों जैसे लंबे स्टैंड-ऑफ हथियारों से लैस किया गया है।
दुश्मन पर भारी पड़ेगा राफेल
राफेल विमान जब वायुसेना में शामिल किए गए थे, तब वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने कहा था कि उन्हें सही वक्त पर वायुसेना में शामिल किया गया है। ये वायुसेना की ताकत में इजाफा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि गोल्डन एरोज (राफेल स्वाड्रन) को जहां भी तैनात किया जाएगा, वह हमेशा दुश्मन पर भारी पड़ेंगे। बीच में खबरें आई थीं कि चीन ने तिब्बत के क्षेत्र में पड़ने वाले कई हवाई अड्डों पर लड़ाकू विमानों की तैनाती की है, जिसके चलते भारत के लिए भी इस प्रकार का कदम उठाना जरूरी है।
सबसे आगे राफेल
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि खेल बदलने वाले राफेल का समावेश दुनिया के लिए और विशेष रूप से भारत की संप्रभुता को चुनौती देने वालों के लिए एक मजबूत संदेश था 29 जुलाई को पांच राफेल फ्रांस से अंबाला एयरबेस पहुंचे। इसके बाद राफेल का ट्रायल हिमाचल प्रदेश की पहाड़ी इलाकों सहित विभिन्न इलाकों में दिन और रात में उड़ाया गया था। सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ 59,000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत सभी 36 राफेल 2022 तक भारत आने की संभावना है। 22 किलोमीटर की स्ट्राइक रेंज, ‘स्कैल्प’ मिसाइलों और अन्य हथियारों से लैस राफेल पाकिस्तानी और चीनी प्रतिद्वंद्वियों जैसे एफ -16, जेएफ -17 और J-20s को पीछे छोड़ देगा।
पूरी तरह से तैयार वायुसेना
भारतीय वायुसेना ने वर्तमान में सीमावर्ती सुखोई -30 एमकेआई, मिराज -2000, मिग -29 और अन्य लड़ाकू विमानों के साथ-साथ चिनूक हेवी-लिफ्ट और लद्दाख में अपाचे हमले के हेलीकाप्टरों के साथ-साथ 3,488 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ कंट्रोल में पूरी लाइन ऑफ कंट्रोल में पर्याप्त संख्या में तैनात की है।
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