नई दिल्ली। भारत (India) और चीन (China) के बीच कई चरणों की बातचीत के बाद भी कोई हल निकलता नजर नहीं आ रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने भी इस बात की ओर सीधा संकेत किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध बहुत ही कठिन दौर (India-China relations very difficult phase.) से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर ये दोनों ही देश साथ नहीं आते हैं तो यह एशिया की शताब्दी नहीं बन पाएगी। जयशंकर ने रूस से तेल आयात करने और म्यांमार के जुंटा के साथ संबंधों को भी सही ठहराया।
थाइलैंड के चुलालोंगको विश्वविद्यालय में उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच संबंध इसी बात पर निर्भर करते हैं कि कैसे दोनों ही देश अपने हितों को सौहार्द के साथ पूरा करते हैं। उन्होंने चीन के नेता देंग जियापिंग की बात को याद करते हुए कहा कि एशिया की शताब्दी तभी हो सकती है जब भारत और चीन साथ आएं। उन्होंने आगे कहा, आज का सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर भारत और चीन के बीच संबंध किस दिशा में जा रहे हैं?
जयशंकर ने कहा, इस समय दोनों देशों के बीच के संबंध बहुत ही बुरे दौर से गुजर रहे हैं। इसकी वजह सीमा पर चीन की हरकत है। लद्दाख में एलएसी के पास की स्थिति की बात करते हुए उन्होंने कहा कि चीन यथा स्थिति को बदलने के लिए एकतरफा कोशिश करता है। इस वजह से भारत और चीन के बीच संबंध बहुत खराब हो गए हैं।
जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री के बीच जब मुलाकात हुई थी तब इस बात की उम्मीद जताई गई थी कि धीरे-धीरे संबंधों में सुधार हो रहा है। हालांकि यहां जयशंकर ने कहा कि जब तक सीमा पर तनाव कम नहीं होता और शांति स्थापित नहीं होती तब तक दोनों देशों के संबंध अच्छे नहीं हो सकते हैं।
वहीं जयशंकर से जब रूस से तेल आयात करने पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, यह बहुत ही कड़ा फैसला है। तेल के आयात पर कोई प्रतिबंध नहीं है। और केवल हम ही नहीं हैं जो कि रूस से तेल आयात कर रहे हैं, इस कड़ी में कई देश है। उन्होंने कहा कि हमें अपने देश के लोगों के हितों के ध्यान में रखकर फैसला करना है।
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