नई दिल्ली । चीन के साथ 21 सितम्बर को चली 14 घंटे की मैराथन बैठक के बाद भी जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं दिखने पर अब फिर से भारत और चीन के बीच 7वें दौर की सैन्य वार्ता 12 अक्टूबर को होगी। पिछली बैठक में भारत ने मुख्य रूप से मास्को में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के साथ हुई बैठक में तय किये पांच सूत्री बिन्दुओं पर फोकस किया था। छठे दौर की वार्ता में इस पर चीन से एक रोड मैप मांगा गया था लेकिन अभी तक चीन की तरफ से इस बारे में कोई सहमति नहीं बन पाई है। इसी बैठक में भारत ने चीन से साफ तौर पर कहा था कि पीएलए को सीमा पर कोई आक्रामक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए अन्यथा भारतीय सैनिक खुद की रक्षा के लिए गोली भी चला सकते हैं।
चीन के साथ छह दौर की कॉर्प कमांडर स्तरीय वार्ता करने वाले सेना की 14वीं कॉर्प के लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह का तबादला भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून हो गया है लेकिन 7वें दौर की सैन्य वार्ता में वही भारत के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। उनकी जगह नई दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय से 14वीं कॉर्प के लेफ्टिनेंट जनरल बनाकर भेजे गए पीजीके मेनन 15 अक्टूबर को कार्यभार संभालेंगे, लेकिन उनके भी इस बैठक में शामिल होने की संभावना है। छठे दौर की सैन्य वार्ता में भी जनरल मेनन सेना मुख्यालय के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए थे। पिछली बैठक में पहला मौका था जब विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि के तौर पर संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव भी शामिल हुए थे। इसके अलावा सेना की ओर से दो अतिरिक्त मेजर जनरल अभिजित बापट और मेजर जनरल पदम शेखावत भी चीन से वार्ता करने को बैठे। अग्रिम चौकियों पर तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की ओर से नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर के आईजी दीपम सेठ भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल हुए थे।
भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच करीब 14 घंटे चली छठे दौर की बैठक के बाद जारी हुए साझा बयान में कहा गया था कि दोनों पक्ष “सीमा पर और अधिक सैनिकों को भेजने से रोकने के लिए सहमत हैं, एकतरफा रूप से जमीन पर ऐसी किसी भी कार्रवाई करने से बचेंगे जो स्थिति को जटिल कर सकती हैं।” बयान में यह भी कहा गया था कि “दोनों देश महत्वपूर्ण सहमति को लागू करने, जमीन पर संचार तंत्र को मजबूत करने और गलतफहमी से बचने के लिए ईमानदारी से सहमतियों को लागू करने पर राजी हुए हैं।” इसके बावजूद अभी तक सीमा पर जमीनी हालात बिलकुल नहीं बदले हैं। बैठक के बाद जारी हुए साझा बयान में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि सीमा के दोनों तरफ मौजूदा समय में तैनात हजारों सैनिकों और सैन्य साजो सामान को पीछे करने के बारे में दोनों देशों के बीच क्या सहमति बनी है।
भारत चाहता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सभी जगह से सैनिकों को हटाने का रोडमैप तैयार किया जाए लेकिन चीन इस पर तैयार नहीं है। छठे दौर की बैठक में दोनों पक्ष मोर्चे पर अतिरिक्त सैनिकों को न भेजने पर सहमत हुए हैं, फिर भी जारी सैन्य टकराव में कमी आती नहीं दिख रही है। इसलिए दोनों सेनाओं के कठोर सर्दियों में भी सीमा पर बने रहने के आसार हैं। इसी बैठक में भारत ने चीन से साफ तौर पर कहा कि उसके सैनिक खुद को और अपनी स्थिति बचाने के लिए सभी उपाय करेंगे, जिसमें गोली चलाना भी शामिल है। अब गलवान घाटी जैसी घटना बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जरूरत पड़ने पर अब किसी भी तरह के संघर्ष का मुकाबला भारत के सैनिक करेंगे। इस घटना में 20 जवान खोने के बाद भारत ने अपने सैनिकों को खुली छूट दे दी थी, जिसका इस्तेमाल किसी भी विषम परिस्थितियों में किया जायेगा।
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