लद्दाख। गलवान की ‘खूनी घाटी’ खाली होने के बाद भारत-चीन के सैनिक भले ही लगभग तीन किमी. के बफर जोन में चले गए हैं, लेकिन विवाद की मुख्य जड़ फिंगर-4 से चीनी सैनिक हटने को तैयार नहीं हैं. पैंगोंग लेक इलाके के फिंगर एरिया में चीनी सेना ने पक्के निर्माण कर रखे हैं. यहां भारत और चीन के आमने-सामने होने से अभी भी तनाव बरकरार है।
गलवान घाटी के पेट्रोलिंग पॉइंट 14 और 15 से दोनों देशों की सेनाएं 2-2.5 किमी पीछे हटी हैं. भारतीय और चीनी सैनिक अपने भारी हथियारों और बख्तरबंद वाहनों को लगभग 1 से 2 किमी. दूर वापस ले गए हैं. चीनी सेना इन क्षेत्रों से लगभग 20 वाहनों को वापस ले गई है।
इस बीच गोगरा, हॉट स्प्रिंग और पूर्वी लद्दाख में बफर जोन बनाया जा रहा है. दोनों देशों के बीच बनी सहमति के बाद भारतीय सैनिक अगले 30 दिनों तक इस स्थान तक पेट्रोलिंग नहीं कर सकेंगे. गलवान घाटी की सेटेलाइट तस्वीरों से साफ है कि भारत और चीन की आमने-सामने की मोर्चा बंदी खत्म हो गई है।
अब गलवान घाटी से भारत और चीन के सैनिकों की वापसी पूरी हो चुकी है, जिसका सत्यापन स्थानीय कमांडरों ने भी कर दिया है. चीनी सेना के कच्चे-पक्के निर्माण हटने की पुष्टि भी ड्रोन से तस्वीरें लेकर की जा चुकी हैं. वहीं पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर जमीनी स्थिति में अभी तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। चीनी सैनिकों ने फिंगर-4 से 8 तक पूरे क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है. चीन ने भारतीय इलाके के नजदीक आर्टिलरी और टैंक रेजिमेंट्स को तैनात किया हुआ है. चीन के सैनिक भारतीय गश्ती दल को फिंगर-4 से आगे नहीं जाने देते हैं जबकि भारत मई से पहले फिंगर-8 तक पेट्रोलिंग करता था।
पूर्वी लद्दाख के पैगोंग झील इलाके में एलएसी पर दोनों पक्षों में तनाव बढ़ने की शुरुआत यहीं से हुई थी. चीन के सैनिक मई के शुरुआती दिनों से ही पैंगोंग झील और इसके उत्तरी किनारे पर फिंगर-4 से फिंगर-8 तक कब्जा जमाए बैठे हैं।
मौजूदा तनाव से पहले चीन का फिंगर-8 में एक स्थायी कैम्प था, लेकिन इस बीच फिंगर-4 पर चीनियों ने कब्जा जमा लिया है. इसे ऐसे समझना आसान होगा कि फिंगर-4 और फिंगर-8 के बीच आठ किमी. की दूरी है. इस तरह देखा जाए तो चीन ने आठ किलोमीटर आगे बढ़कर फिंगर-4 पर पैंगोंग झील के किनारे बुनियादी ढांचों का निर्माण कर लिया है।
इसी तरह फिंगर 5 के पास 2 और बंकरों का निर्माण किया है. अब यहां चीन के कुल 6 बंकर हो गए हैं. भारतीय सेना के कई पूर्व वरिष्ठ अफसर चीन की चालबाजियों से सावधान रहने और उस पर ज्यादा भरोसा न करने की सलाह दे रहे हैं. इन जानकारों का कहना है कि चीन ने भले ही एलएसी से पीछे हटने की सहमति जताई हो, लेकिन फिंगर 4 से चीन को वापस पीछे भेजना आसान नहीं होगा।
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा कहते हैं कि कोर कमांडर स्तर की वार्ता में सहमति बनने के बावजूद चीनी सेना को फिंगर-4 से फिंगर-8 तक वापस लाना आसान नहीं होगा. वे यह भी आशंका जताते हैं कि चीन यहां से हटने के बाद सीमा क्षेत्र में ही नई जगहों पर सैन्य तैनाती और नए निर्माण कर सकता है। एजेंसी
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