नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच 2 साल से चले आ रहे सीमा विवाद का अब अंत होता नजर आ रहा है क्योंकि दोनों देशों की सेना पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स इलाके से पीछे हटने को राजी हो गई हैं. यह प्रोसेस गुरुवार को शुरू भी हो चुका है और उम्मीद जताई जा रही है कि सैन्य बलों की वापसी की प्रक्रिया 12 सितंबर तक पूरी हो जाएगी. विदेश मंत्रालय ने ने बताया कि गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स के पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से सेनाओं की वापसी शुरू हो चुकी है. इस जगह पर दोनों सेनाओं के बीच पिछले दो साल से गतिरोध बना हुआ था. उधर, चीन की ओर से भी सैन्य बलों के पीछे हटने की सहमति पर मुहर लगाई गई है.
सीमा विवाद सुलझाने को राजी
विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों पक्षों ने वार्ता जारी रखने और भारत-चीन सीमावर्ती इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास शांति बहाल करने पर सहमति जताई है. साथ ही दोनों देश कमांडर लेवल की वार्ता में शांति बहाल करने को लेकर भी राजी हुए हैं. MEA के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस मामले से जुड़े सवालों के जवाब में कहा कि इस बात पर सहमति बनी कि इलाके में दोनों पक्षों की ओर से बनाए गए सभी अस्थायी ढांचे हटाए जाएंगे और इलाके में भूमि का वही प्राकृतिक रूप बहाल किया जाएगा, जो दोनों पक्षों के बीच गतिरोध की स्थिति से पहले था.
चीनी सेना की ओर से भी शुक्रवार को पुष्टि की गई है कि PP-15 से चीन और भारत के सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. पूर्वी लद्दाख में दो साल से अधिक समय से जारी गतिरोध को खत्म करने की दिशा में यह एक अहम कदम है. भारत लगातार कहता रहा है कि द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती के लिए LAC के पास शांति बनाए रखना अहम है. गतिरोध को हल करने के लिए दोनों सेनाओं ने कोर कमांडर स्तर की 16 दौर की बातचीत की है.
चीनी सेना का भी आया बयान
चीनी रक्षा मंत्रालय की एक प्रेस रिलीज में कहा गया है, ‘चीन-भारत कोर कमांडर स्तर की बैठक के 16वें दौर में बनी सहमति के मुताबिक, आठ सितंबर, 2022 को जियानन डाबन क्षेत्र से चीनी और भारतीय बलों ने पीछे हटना शुरू कर दिया है, जो सीमावर्ती इलाकों में शांति के लिए अच्छा है.’ भारतीय अधिकारियों ने पुष्टि की है कि चीनी सेना जिस जियानन डाबन क्षेत्र का जिक्र किया है, वह गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स इलाके का वही ‘पेट्रोलिंग प्वाइंट-15’ है, जिसका भारतीय प्रेस रिलीज में जिक्र किया गया था.
उज्बेकिस्तान में SCO के शिखर सम्मेलन से करीब एक सप्ताह पहले सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया की घोषणा की गई है. सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग शामिल होंगे. ऐसी अटकलें हैं कि दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक हो सकती है. हालांकि, इसे लेकर किसी पक्ष ने कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है. सूत्रों ने कहा कि भारत देपसांग और डेमचोक के टकराव वाले बाकी इलाके में लंबित मुद्दों के समाधान के लिए लगातार चीन पर दबाव बनाए रखेगा.
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