नई दिल्ली। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ और ट्विटर के व्हिसलब्लोअर पीटर मज जैटको ने दावा किया है कि भारत और चीन के एजेंट ट्विटर के वेतनभोगी कर्मचारी बतौर काम कर थे। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी ने जानबूझकर भारत को कंपनी के स्टाफ में एजेंटों को जोड़ने की अनुमति दी। ये एजेंट ट्विटर यूजर्स के संवेदनशील डाटा संबंधित देशों को देते थे।
जैटको ने ये चौंकाने वाले खुलासे सीनेट की न्यायिक समिति के सामने पेश होते वक्त किए। जैटको ने समिति के सदस्य अमेरिकी सांसदों के समक्ष कहा कि इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की साइबर सुरक्षा कमजोर है। यूजर्स की गोपनीयता खतरे में है। ट्विटर के पूर्व सुरक्षा प्रमुख रहे जैटको ने यह भी दावा किया कि चीन का कम से कम एक खुफिया एजेंट इस साइट पर काम कर रहा था।
ट्विटर के खिलाफ उनके द्वारा लगाए गए आरोपों की गवाही के लिए जैटको सीनेट की समिति के समक्ष पेश हुए। उन्होंने अमेरिकी सांसदों से कहा कि ट्विटर का नेतृत्व जनता, सांसदों, नियामकों और यहां तक कि अपने स्वयं के निदेशक मंडल को भी गुमराह कर रहा है। शपथपूर्वक गवाही देते हुए जैटको ने कहा कि वे नहीं जानते कि ट्विटर के एजेंटों के पास कौन सा डाटा है और वह कहां रहता है।
उन्होंने कहा कि यदि तालेनुमा सुरक्षा व्यवस्था नहीं है, तो इससे फर्क नहीं पड़ता कि उसकी चाबी किसके पास है। जैटको ने आरोप लगाया कि ट्विटर का नेतृत्व अपने इंजीनियरों की उपेक्षा करता है और वे सुरक्षा से ज्यादा प्राथमिकता कंपनी के मुनाफे को देते हैं।
ट्विटर ने कहा-किसी दबाव में नहीं करते नियुक्तियां
उधर, ट्विटर ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि उसकी नियुक्ति प्रक्रिया स्वतंत्र है और किसी विदेशी प्रभाव में वह नियुक्तियां नहीं करता। डाटा सुरक्षा के लिए कंपनी ने कई कदम उठाए हैं। इनमें बैंकग्राउंड चेक, एक्सेस कंट्रोल, निगरानी व जासूसी तंत्र व प्रक्रिया भी है, जिनके जरिए ग्राहकों की निजता व सुरक्षा का पूरा खयाल रखा जाता है।
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