नई दिल्ली (New Delhi) । केंद्र सरकार (Central government) ने सोमवार को राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL) के माध्यम संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को गैर-बासमती चावल (non-basmati rice) के एक्सपोर्ट को मंजूरी दे दी है. सरकार द्वारा 75,000 टन चावल के निर्यात की अनुमति दी गई है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना जारी कर इस संबंध में जानकारी शेयर की है.
चावल के एक्सपोर्ट पर बैन से खराब हालात
जानकारी के मुताबिक, सरकार ने वर्तमान में देश में गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट को पूरी तरह से बैन किया हुआ है. इस फैसले के बाद से कई देशों में चावल के लिए अफरा-तफरी का माहौल और वहां पर एक झटके में चावल की कीमतों में तगड़े उछाल की खबरें बीते दिनों सुर्खियां बनी थीं. हालांकि, बैन के बावजूद भारत अपने मित्र और पड़ोसी देशों के अनुरोध पर उनकी खाद्य सुरक्षा मांग को पूरा करने के लिए आगे आया है और इन देशों में चावल के निर्यात को मंजूरी दी है.
यूएई के अलावा इन देशों को भी राहत
NECL के जरिये यूएई को 75,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की अनुमति देने से वहां पर चावल की कीमतों में भी राहत मिलने की उम्मीद है. गौरतलब है कि इससे पहले मोदी सरकार ने सेनेगल को 5 लाख टन, गाम्बिया को 5 लाख टन, इंडोनेशिया को 2 लाख टन, माली को 1 लाख टन और भूटान को 48,804 टन टूटे चावल के निर्यात की अनुमति दी थी.
भूटान, मॉरिशस और सिंगापुर भी लिस्ट में
संयुक्त अरब अमीरात के अलावा जिन अन्य देशों को बैन के बावजूद भारत सरकार ने एनसीईएल के जरिये गैर बासमती चावल के निर्यात की मंजूरी दी हुई है. उसमें पड़ोसी भूटान शामिल है, जहां 79,000 टन चावल के निर्यात की अनुमति दी गई है, इसके अलावा मॉरीशस को 14,000 टन और सिंगापुर को 50,000 टन को गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति मिली है.
भारत ने क्यों लगाया है निर्यात पर बैन?
भारत सरकार ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए बीते 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था. भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है जिसने साल 2022-23 में चावल के वैश्विक निर्यात में 40 फीसद का योगदान दिया था.
2022-23 में भारत के गैर-बासमति सफेद चावल का कुल निर्यात 42 लाख डॉलर का था जबकि पिछले साल यह निर्यात 26.2 लाख डॉलर का था. भारत गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात मुख्यत: अमेरिका, थाईलैंड, इटली, स्पेन और श्रीलंका को करता है.
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