नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के बीच अब कुछ भी सामान्य नहीं रहा है. पहलगाम आतंकी हमले (pahalgam terrorist attack) के बाद पाकिस्तान भी डरा हुआ कि उसपर कब कौन सा एक्शन हो जाए. ये डर लाजमी भी है क्योंकि जब पुलवामा अटैक (pulwama attack) हुआ था, तो भारत ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते हुए तुरंत एयरस्ट्राइक की थी. ऐसे में इस हमले के बाद से ही पाकिस्तान की सांसे ऊपर नीचे हो रही हैं. वहीं, एनएसए डोभाल इस बार एयर स्ट्राइक नहीं बल्कि कुछ और ही बड़ा गेम प्लान कर रहे हैं.
अजीत डोभाल एक नई रणनीति के तहत पाकिस्तान को जवाब देने की तैयारी में हैं. दरअसल साल 2014 में शास्त्र विश्वविद्यालय में दिए गए नानी पालखीवाला स्मृति के दौरान अजीत डोभाल ने पाकिस्तान के खिलाफ ‘डिफेंसिव ऑफेंस’ की रणनीति को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट किया था. उनका मानना था कि भारत का अब तक का दृष्टिकोण मुख्यतः डिफेंसिव रहा है, जिसमें हम केवल पाकिस्तान की कार्रवाई का जवाब देते हैं. इस रणनीति में भारत को हमेशा नुकसान उठाना पड़ता है.
डोभाल ने कहा था कि अगर पाकिस्तान ‘एक मुंबई’ करता है, तो उसे ‘बलूचिस्तान’ खोने के लिए तैयार रहना चाहिए. उनका संकेत था कि भारत को अब सिर्फ रक्षात्मक रहकर वार झेलने की बजाय पाकिस्तान की आंतरिक कमजोरियों पर प्रहार करना चाहिए. इसमें पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब करना भी शामिल है. साथ ही अफगानिस्तान के जरिए भी पाकिस्तान पर काबू पाना चाहिए.
ऐसे में माना जा रहा है डोभाल इसी रणनीति के तहत पाकिस्तान को अलग-थलग करने का प्लान बना चुके हैं. वहीं, ये भी कहा जा राह है कि ये बिल्कुल सटीक समय है पाकिस्तान को बैकफुट पर लाकर जवाब देने का. क्योंकि इस समय वहां की जनता में पाकिस्तानी सेना को लेकर काफी गुस्सा है.
इतना ही नहीं, पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा हो या इस्लामाबाद हर जगह सरकार के खिलाफ खूब हल्ला हो रहा है. इंटरनेशनल लेवल पर भी भारत को कई देशों का समर्थन प्राप्त है. पाकिस्तान का चहेता चीन भी भारत से रिश्तों को संवारने की कोशिश कर रहा है. इन सबको देखते हुए कहा जा सकता है कि पाकिस्तान पर कार्रवाई का यही सबसे सटीक समय है. डोभाल जैसे अनुभवी अधिकारी के साथ, यह सरकार पाकिस्तान को उसकी हरकतों के लिए कड़ा संदेश देने की नीति अपना रही है. पठानकोट हमले के बाद भले ही कुछ आलोचनाएं हुई हों, लेकिन डोभाल की सोच और उनके इरादों को सरकार में उच्च स्तर पर समर्थन प्राप्त है.
अब जबकि पहलगाम जैसे हमलों ने एक बार फिर भारत को झकझोर दिया है, ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि डोभाल और सरकार एक बार फिर ‘डिफेंसिव ऑफेंस’ को सक्रिय रूप से लागू करने की दिशा में बढ़ सकते हैं. यह रणनीति न केवल पाकिस्तान को उसकी जमीन पर जवाब देने की बात करती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि भारत सिर्फ जवाब देने वाला देश न बने, बल्कि खतरे को वहीं रोक दे, जहां से वह पैदा होता है.
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