नई दिल्ली। चीन ने अपनी हरकतों से भारत और ताइवान दोनों को दुखी कर रखा है। इससे दोनों लोकतांत्रिक देशों में करीबी बढ़ रही है और वे ट्रेड डील पर औपचारिक बातचीत शुरू कर सकते हैं। ताइवान कई वर्षों से भारत के साथ ट्रेड डील पर बातचीत करना चाहता है लेकिन भारत सरकार इससे कतराती रही है। इसकी वजह यह है कि भारत चीन की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता था।
लेकिन पिछले कुछ महीनों से सरकार के भीतर ऐसे तत्व हावी हुए हैं जो ताइवान से साथ ट्रेड डील के पक्ष में हैं। एक अधिकारी ने बताया कि ताइवान के साथ ट्रेड डील से भारत को टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स में ज्यादा निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी। अधिकारी ने कहा कि अभी यह साफ नहीं है कि बातचीत शुरू करने के लिए कब अंतिम फैसला लिया जाएगा।
किसे होगा फायदा
इसी महीने भारत सरकार ने स्मार्टफोन बनाने के लिए कई कंपनियों के प्रस्तावों को मंजूरी दी थी। इनमें ताइवान का फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप, विस्ट्रॉन ग्रुप और पेगाट्रॉन कॉर्प शामिल है। इस बारे में वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की। ताइवान के टॉप ट्रेड वार्ताकार जॉन देंग ने भी ईमेल का जवाब नहीं दिया।
अगर भारत के साथ सीधी ट्रेड वार्ता शुरू होती है तो यह ताइवान के लिए बड़ी जीत होगी। चीन से दबाव के कारण उसे किसी भी बड़े देश के साथ ट्रेड डील शुरू करने में संघर्ष करना पड़ा है। अधिकांश देशों की तरह भारत ने भी ताइवान को औपचारिक मान्यता नहीं दी है। दोनों देशों के बीच रिप्रजेंटेटिव ऑफिसेज के रूप में अनऑफिशियल डिप्लोमैटिक मिशन हैं। दोनों देशों ने अपने आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए 2018 में एक अपडेटेड द्विपक्षीय निवेश करार पर हस्ताक्षर किए थे। 2019 में दोनों देशों के बीच व्यापार 18 फीसदी बढ़कर 7.2 अरब डॉलर पहुंच गया था।
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