नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार (International Market) में एक बार फिर कच्चे तेल (Crude oil) की कीमत में गिरावट का रुख बनने लगा है जिससे भारत जैसे क्रूड के आयातक देशों को बड़ी राहत (Big relief to crude importing countries like India) मिलने की उम्मीद बनने लगी है। माना जा रहा है कि अमेरिकी देशों के कच्चे तेल के उत्पादन में तेजी लाने की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड पर भी दबाव बनने लगा है।
गुरुवार के कारोबार में बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 0.60 फीसदी की गिरावट के साथ 62.80 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर पहुंच गया। वहीं अमेरिकी कच्चा तेल (डब्लूटीआई क्रूड) 38 सेंट की गिरावट के साथ 0.6 फीसदी फिसल कर 59.39 डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। जानकारों के मुताबिक अमेरिकी देशों में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ने के कारण वहां कच्चे तेल का भंडार अपनी अधिकतम सीमा तक पहुंच गया है, जिसके कारण अमेरिकी तेल उत्पादक कंपनियों पर अपने क्रूड भंडार को जल्द से जल्द बेचने का दबाव बन गया है।
कमोडिटी एक्सपर्ट सतीश धामिजा का कहना है कि अमेरिकी ऊर्जा प्रशासन ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके मुताबिक अमेरिका में कच्चे तेल का भंडार पहले के अनुमानों से ज्याद बढ़ गया है। कच्चे तेल के स्टॉक में पहले की तुलना में 35 लाख बैरल की बढ़ोतरी हो गई है। मौजूदा समय में कच्चे तेल का स्टॉक करीबन 50.20 करोड़ बैरल के स्तर पर आ गया है। इसी तरह गैसोलीन की सप्लाई में भी 40 लाख बैरल की बढ़ोतरी हो गई है।
धामिजा का कहना है कि एक ओर तो अमेरिकी देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी कर दी है, वहीं इस महीने के शुरुआती कुछ दिनों में रूस में भी कच्चे तेल का उत्पादन मार्च के औसत स्तर से बढ़ता हुआ दिख रहा है। दूसरी ओर इस बात का भी अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेरिका आने वाले दिनों में ईरान पर लगाए प्रतिबंधों में कुछ ढील दे सकता है। ऐसा हुआ तो कच्चे तेल की वैश्विक आपूर्ति में ईरान की भागीदारी बढ़ने का भी अनुमान है।
कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी के ताजा आंकड़े और भविष्य के अनुमानों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल पर दबाव बना दिया है। यही कारण है कि कभी कभी मामूली उछाल के बावजूद अप्रैल के महीने में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में नरमी का माहौल बना हुआ है। जानकारों का कहना है कि अगर इसी तरह का माहौल रहा तो आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमत 40 डॉलर प्रति बैरल तक भी नीचे गिर सकती है। (एजेंसी, हि.स.)
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