नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को देश की पहली चालक रहित ट्रेन को हरी झंडी दिखाते हुए कहा कि सरकार की योजना वर्ष 2025 तक 25 से ज्यादा शहरों में मेट्रो चलाने की है। उन्होंने कहा कि आज मेट्रो केवल सार्वजनिक परिवहन का एक माध्यम नहीं है, बल्कि प्रदूषण को कम करने का एक शानदार तरीका है।
प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिल्ली मेट्रो की 37 किमी लम्बी मजेंटा लाइन (जनकपुरी पश्चिम से बॉटनिकल गार्डन) पर देश की पहली चालक रहित ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। इसके साथ ही उन्होंने 23 किमी लम्बे एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन (नई दिल्ली से द्वारका सेक्टर 21) की यात्रा के लिए नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) सेवाओं का भी शुभारंभ किया।
देश में अलग-अलग तरह की मेट्रो लाने पर हो रहा है काम
दिल्ली और एनसीआर में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए बन रहे भारत के पहले रीजनल रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (आरआरटीएस) का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि दिल्ली मेरठ आरआरटीएस का शानदार मॉडल दिल्ली और मेरठ की दूरी को घटाकर एक घंटे से भी कम कर देगा।
उन्होंने कहा कि उन शहरों में जहां यात्री संख्या कम है, वहां मेट्रोलाइट वर्जन पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 40 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है। जिन शहरों में सवारियां और भी कम हैं, वहां मेट्रोनियो पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 25 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है। इसी तरह वॉटर मेट्रो भी आउट ऑफ द बॉक्स सोच का उदाहरण है।
सरकार ने पहली बार मेट्रो नीति तैयार की
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने पहली बार मेट्रो नीति तैयार की और इसे एक सर्वांगीण रणनीति के साथ लागू किया। इसमें हमारा जोर स्थानीय मांग के अनुसार काम करने, स्थानीय मानकों को बढ़ावा देने, मेक इन इंडिया के विस्तार और आधुनिक तकनीक के उपयोग पर था। उन्होंने कहा कि यह ध्यान में रखा गया है कि शहर के लोगों की जरूरतों और वहां की पेशेवर जीवनशैली के अनुसार मेट्रो के विस्तार, आधुनिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यही कारण है कि विभिन्न शहरों में विभिन्न प्रकार की मेट्रो रेल पर काम किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश को भविष्य की जरूरतों के लिए तैयार करना शासन की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। उन्होंने इस तथ्य पर अफसोस जताया कि कुछ दशक पहले, जब शहरीकरण की मांग महसूस की गई थी, तब भविष्य की जरूरतों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया, आधे-अधूरे काम किए गए और भ्रम बना रहा। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, आधुनिक सोच कहती है कि शहरीकरण को चुनौती न मानकर एक अवसर की तरह इस्तेमाल किया जाए। एक ऐसा अवसर जिसमें हम देश में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बना सकते हैं। एक ऐसा अवसर जिससे हम इज ऑफ लिविंग (जीवन जीने की सुगमता) बढ़ा सकते हैं। सोच का ये अंतर शहरीकरण के हर आयाम में दिखता है।
स्मार्ट सिस्टम की तरफ आगे बढ़ रहा है देश
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि तीन साल पहले उन्होंने जिस मजेंटा लाइन का उद्घाटन किया था आज फिर उसी रूट पर देश की पहली ऑटोमेटिड मेट्रो का भी उद्घाटन करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि ये दिखाता है कि भारत कितनी तेजी से स्मार्ट सिस्टम की तरफ आगे बढ़ रहा है।
दुनिया के चुनिंदा देशों में शामिल हो गया भारत
प्रधानमंत्री ने चालक रहित मेट्रो रेल की उपलब्धि पर कहा कि हमारा देश आज दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जहां इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि हम ऐसे ब्रेकिंग सिस्टम का भी प्रयोग कर रहे हैं जिनमें ब्रेक लगाने पर 50 प्रतिशत उर्जा वापस ग्रिड में चली जाती है। आज मेट्रो रेल में 130 मेगावाट सोलर पावर का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे बढ़ाकर 600 मेगावाट तक ले जाया जाएगा।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को किया याद
मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि दिल्ली में पहली मेट्रो अटल जी के प्रयासों से चली थी। उन्होंने कहा कि 2014 में वह सत्ता में आए तो सिर्फ 5 शहरों में मेट्रो रेल थी। आज 18 शहरों में मेट्रो रेल की सेवा है और वर्ष 2025 तक हम इसे 25 से ज्यादा शहरों तक विस्तार देने वाले हैं। उन्होंने कहा कि साल 2014 में देश में सिर्फ 248 किलोमीटर मेट्रो लाइन्स आपरेशनल थीं। आज ये करीब तीन गुनी यानी 700 किलोमीटर से ज्यादा है। वर्ष 2025 तक हम इसका विस्तार 1700 किलोमीटर तक करने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि ये केवल आंकड़े नहीं हैं बल्कि करोड़ों भारतीयों के जीवन में सहजता के प्रमाण हैं। ये सिर्फ ईंट पत्थर, कंक्रीट और लोहे से बने इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं बल्कि देश के नागरिकों, देश के मिडिल क्लास की आकांक्षा पूरा होने के साक्ष्य हैं।
अहमदाबाद के बाद एनसीएमसी सेवा से जुड़ी दिल्ली मेट्रो
उन्होंने कहा कि आज नेशनल कॉमन मॉबिलिटी कार्ड से मेट्रो भी जुड़ रही है। पिछले साल अहमदाबाद से इसकी शुरुआत हुई थी। आज इसका विस्तार दिल्ली मेट्रो की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर हो रहा है। मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर कॉमन मोबिलिटी कार्ड इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। आप जहां कहीं से भी यात्रा करें, आप जिस भी सार्वजनिक वाहन से यात्रा करें, ये एक कार्ड आपको एकीकृत सुविधा देगा।
तमाम सेवाओं को एकीकृत कर रही सरकार
मोदी ने कहा कि सरकार ने जनता की सुविधा की लिए जीएसटी, फास्ट टैग कार्ड, एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड सहित तमाम व्यवस्थाओं को एकीकृत करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि वन नेशन, वन राशन कार्ड से एक स्थान से दूसरे स्थान जाने वाले नागरिकों को नया राशन कार्ड बनाने के चक्करों से मुक्ति मिली है। इसी तरह नए कृषि सुधारों और ई-नाम जैसी व्यवस्थाओं से वन नेशन, वन एग्रीकल्चर मार्केट की दिशा में देश आगे बढ़ रहा है।
मेट्रो के विस्तार में मेक इन इंडिया
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेट्रो सर्विसेस के विस्तार के लिए, मेक इन इंडिया महत्वपूर्ण है। मेक इन इंडिया से लागत कम होती है विदेशी मुद्रा बचती है और देश में ही लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है। उन्होंने काह कि रोलिंग स्टॉक के मानकीकरण से हर कोच की लागत अब 12 करोड़ से घटकर 8 करोड़ पहुंच गयी है। आज चार बड़ी कंपनियां देश में ही मेट्रो कोच का निर्माण कर रही हैं। दर्जनों कंपनिया मेट्रो कंपोनेंट्स के निर्माण में जुटी हैं। इससे मेक इन इंडिया के साथ ही आत्मनिर्भर भारत के अभियान को मदद मिल रही है।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह सहित अनेक गणमान्य उपस्थित थे।
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