नई दिल्ली. क्या नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ विपक्ष (Opposition) का सबसे बड़ा चेहरा अब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) नहीं ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) होंगी? इस सवाल की वजह है इंडिया गठबंधन के अंदर राहुल को लेकर जारी घटपट है. ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ने राहुल गांधी के खिलाफ खुल्लम- खुल्ला मोर्चा खोल दिया है. दावा यही है कि अब इंडिया गठबंधन (India Block) का कप्तान (captain) बदलने का वक्त आ गया है. राहुल गांधी की कैप्टेंसी में इंडिया गठबंधन के लिए टीम मोदी को हराना असंभव होगा. TMC की मांग है कि ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का कैप्टन बनाया जाए. ममता बनर्जी की दावेदारी के बाद इंडिया गठबंधन पूरी तरह बंटा हुआ नजर आ रहा है. इंडिया गठबंधन के ज्यादातर खिलाड़ी कैप्टन बदलने के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं.
लोकसभा में टीम इंडिया गठबंधन का स्कोर है-235 जबकि टीम एनडीए का स्कोर कार्ड है 293. एनडीए के कप्तान हैं नरेंद्र मोदी, लेकिन विपक्षी टीम की कैप्टेंसी को लेकर नई जंग छिड़ गई है. टीएमसी की मांग है कि हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस का स्कोर कार्ड ऐसा है कि अब टीम इंडिया का कप्तान बदलना होगा. कमान BJP के खिलाफ सबसे शानदार चुनावी स्ट्राइक रेट वाली ममता बनर्जी को सौंपनी होगी. मतलब टीम इंडिया में कैप्टन की कुर्सी को लेकर अंदरूनी झगड़ा शुरू हो गया है.
टीएमसी क्या दावा कर रही है?
इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियों का क्या कहना है, ये जानने से पहले TMC की तरफ से किए गए दावे को समझिए. पहला दावा- कांग्रेस सभी दलों को साथ लेकर चलने में सक्षम नहीं. दूसरा दावा- राज्यों में मिली हार के बाद भी कांग्रेस का अहंकार नहीं टूटा. तीसरा दावा- ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने में सक्षम हैं. चौथा दावा- BJP के खिलाफ ममता का स्ट्राइक रेट 70 प्रतिशत और राहुल का 10 प्रतिशत. पांचवां दावा- इंडिया गठबंधन नाम ममता बनर्जी ने ही दिया था.
टीएमसी के दावे पर कांग्रेस पलटवार कर रही है. ममता बनर्जी की पार्टी को आंकड़ों का आइना दिखा रही है. इशारा यही है कि कांग्रेस पार्टी के 99 सांसद हैं, तो गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका राहुल गांधी की है जबकि टीएमसी के कुल सांसदों की संख्या सिर्फ 28 है. यानी TMC से तीन गुना से ज्यादा सांसद कांग्रेस के हैं. नंबर गेम में टीएमसी दूर-दूर तक नहीं है.
टीएमसी का दावा- ममता को मिले गठबंधन की कप्तानी
लोकसभा चुनाव के नतीजों से कांग्रेस को लगा कि नरेंद्र मोदी को रोकने का फॉर्मूला मिल गया है. पार्टी के अंदर और पार्टी के बाहर राहुल गांधी की धाक और साख दोनों बढ़ गई. राहुल लोकसभा में नेता विपक्ष बन गए लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार ने इंडिया गठबंधन में शामिल नेताओं को बड़ा मौका दे दिया. वही मौका जिसे सीढ़ी बनाकर ममता बनर्जी सियासी चौका लगाने की कोशिश कर रही हैं.
अभी इंडिया गठबंधन के अघोषित कैप्टन राहुल गांधी हैं. लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की अगुवाई में इंडिया गठबंधन ने चुनाव लड़ा. भले ही नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बन गए लेकिन इंडिया गठबंधन का स्कोर जबरदस्त रहा, लेकिन अब टीएमसी का दावा है कि राहुल गांधी को रिटायर करो और ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का कैप्टन बनाओ. बड़ी बात ये है कि इंडिया गठबंधन में शामिल कई बड़े खिलाड़ी ममता बनर्जी के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं. इस वक्त इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियां का मत क्या है.
अखिलेश यादव की पार्टी फिलहाल ममता बनर्जी के पक्ष में खड़ी नजर आ रही है. वहीं लालू यादव की पार्टी ना तो इधर है और न तो उधर. दावा यही है इंडिया गठबंधन के सभी दलों की राय के साथ चलेंगे. इंडिया गठबंधन के दो अहम खिलाड़ी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे भी TMC की मांग से सहमत नजर आ रहे हैं.
विधानसभा चुनाव के नतीजों से उठे सवाल
इंडिया गठबंधन में राहुल गांधी पर उठ रहे सवाल के पीछे लोकसभा चुनाव के बाद देश में हुए चार राज्यों के नतीजे हैं. जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन जीता लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा. हरियाणा में वन टू वन फाइट हुई कांग्रेस हार गई. झारखंड में इंडिया गठबंधन जीता लेकिन जीत के नायक राहुल नहीं बल्कि हेमत सोरेन रहे. वहीं महाराष्ट्र में कांग्रेस सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ी और बुरी तरह हार गई. राज्यों में मिली हार से गठबंधन के अंदर कांग्रेस की पकड़ कमजोर पड़ी है.
यही वो चार राज्यों के चुनावी नतीजे हैं, जिसने इंडिया गठबंधन में राहुल गांधी के खिलाफ माहौल बना दिया. चुनावी नतीजे बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली सफलता का ग्राफ चारों खाने चित हो गया. बड़ी बात ये है कि बीजेपी से सीधे भिड़ंत में कांग्रेस का डब्बा गोल हो गया जबकि बीजेपी की चुनावी मशीनरी के आगे भी क्षेत्रीय क्षत्रपों का जादू चला.
झारखंड और जम्मू-कश्मीर के नतीजों के साथ क्षेत्रीय क्षत्रपों ने साबित कर दिया कि उनकी सियासी जमीन मजबूत है, जबकि कांग्रेस के साथ ऐसा नहीं हुआ. कांग्रेस ने अपने पाई हुई सियासी जमीन को फिर से खो दी. लिहाजा कांग्रेस जैसे कमजोर पड़ी, इंडिया गठबंधन में शामिल दल परिवर्तन का राग अलापने लगे.
टीएमसी को क्यों चाहिए इंडिया गठबंधन की कमान?
अब सवाल है टीएमसी क्यों इंडिया गठबंधन की कमान चाहती है, तो इसका जवाब है ममता बनर्जी का प्लान. लोकसभा चुनाव में ममता इंडिया गठबंधन में थीं लेकिन बंगाल में अकेले चुनाव लड़ा. ममता मानती हैं कि इंडिया गठबंधन की कप्तानी मिलते ही संदेश जाएगा कि वो बंगाल तक सीमित नहीं हैं. ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन की कमान संभालकर अपनी पार्टी का विस्तार चाहती हैं. अगर ममता इंडिया गठबंधन की कैप्टन बनीं तो 2026 विधानसभा चुनाव जीतना आसान होगा जबकि 2029 में मोदी के खिलाफ चेहरा बन सकती है. वहीं दूसरी ओर बीजेपी दावा कर रही है कि अब इंडिया गठबंधन को भी राहुल की हकीकत पता चल गई है. बड़ी बात ये है कि नरेंद्र मोदी भी क्षेत्रीय क्षत्रपों के बजाय कांग्रेस पर हमला बोलते हैं. आरोप यही है कि इंडिया गठबंधन का गठन नहीं हुआ होता तो कांग्रेस हाफ नहीं साफ हो गई होती.
बीजेपी ने कहा था- ‘ये INDIA गठबंधन चलने वाला नहीं’
कहां तो विपक्ष के 26 दलों ने मिलकर, बड़े दावों के साथ, पीएम मोदी को हराने के लिए, INDIA गठबंधन बनाया और कहीं ना कहीं जिस तरह से बीजेपी लोकसभा में पूर्ण बहुमत के आंकड़े से 32 सीटें दूर रह गईं, और 240 सीटों पर सिमट गई, INDIA गठबंधन को लगा कि फॉर्मूला काम कर गया. लेकिन लोकसभा चुनावों के बाद, जब नंबर हरियाणा विधानसभा चुनावों का आया और कांग्रेस बुरी तरह से हार गई और महाराष्ट्र में भी पीएम मोदी ने INDIA गठबंधन को बुरी तरह से परास्त कर दिया, अब ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस INDIA गठबंधन में विलेन बन गई है. ऐसा लग रहा है कि जैसे हर कोई कांग्रेस से किनारा करना चाहता है।
जून 2023, ये वो तारीख है, जब ‘INDIA’ गठबंधन के 16 दलों की बैठक पटना में हुई तो ऐसा लगा कि अबकी बार लोकसभा में पीएम मोदी को ये गठबंधन हराकर ही दम लेगा. इसके बाद, ‘INDIA’ गठबंधन में पूरे 26 विपक्षी दल एक साथ आ गए तो लगा कि राजनीति के कैनवास पर इससे बड़ी और विपक्ष के सबसे बड़े शक्ति प्रदर्शन वाली तस्वीर कोई हो ही नहीं सकती. फिर पीएम मोदी के 400 पार के नारे के खिलाफ ‘INDIA’ गठबंधन लड़ा और सीधे पीएम मोदी से भिड़ा तो लोकसभा के नतीजों में असर भी दिखा.
‘INDIA’ गठबंधन में एकता, एकजुटता और मोदी के खिलाफ एकरूपता रैलियों में दिखी. लेकिन पीएम मोदी से लेकर, पूरी बीजेपी और NDA वाले यही कहते रहे, INDIA गठबंधन बहुत दिन चलने वाला नहीं है। पीएम मोदी बार-बार चुटकी लेते रहे. INDIA गठबंधन की बैठक में, लालू यादव ने राहुल गांधी को दूल्हा और बाकी दलों को बाराती बता दिया. इस तरह से ‘INDIA’ गठबंधन की कमान कांग्रेस पर आ गई. लेकिन शायद उस वक्त भी राहुल गांधी का दूल्हा बनना कई लोगों को रास नहीं आया. वो नीतीश कुमार जिनकी अगुवाई में ‘INDIA’ गठबंधन बना, वही बीच में पाला बदलकर पराए हो गए. उसके बाद लोकसभा चुनाव के दौरान, जब पश्चिम बंगाल में सीट शेयरिंग की बात आई, तो ममता बनर्जी ने अकेले ही चुनाव लड़ने का एलान कर दिया. फिर भी राहुल गांधी यही कहते रहे कि ममता बनर्जी ‘INDIA’ गठबंधन के साथ हैं. बीजेपी यही कहती रही, ये ‘INDIA’ गठबंधन चलने वाला नहीं है.
हरियाणा में कांग्रेस ने AAP को अकेला छोड़ा
लोकसभा चुनाव के बाद भी लगा कि INDIA गठबंधन आगे चलेगा, लेकिन गठबंधन धर्म कांग्रेस ने तोड़ा. हरियाणा विधानसभा चुनावों में AAP को अकेला छोड़ा. नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस अतिआत्मविश्वास में हरियाणा हार गई और उसके बाद महाराष्ट्र में भी.
INDIA गठबंधन को बीजेपी ने चारो खाने चित कर दिया. अब INDIA गठबंधन में कांग्रेस विलेन की तरह नजर आ रही है. राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवालों का पुलिंदा सा बंधने लगा है. जिन जिन राज्यों के राजनीतिक दलों ने मिलकर ‘INDIA’ गठबंधन बनाया, अब सभी कांग्रेस से किनारा करते हुए नजर आ रहे हैं.
सबसे पहले बात दिल्ली की करते हैं. दिल्ली में लोकसभा चुनाव कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर लड़ा और 7 लोकसभा सीटों में से 3 पर कांग्रेस लड़ी, और 4 सीटों पर AAP लड़ी. लेकिन सभी सीटों पर INDIA गठबंधन हार गया. इसके बाद हरियाणा में AAP ने गठबंधन की बात कही, तो कांग्रेस ने किनारा कर लिया और कांग्रेस का हरियाणा में बंटाधार हो गया. उसके बाद कांग्रेस को INDIA गठबंधन के साथियों ने नसीहत देनी शुरू कर… अगर कांग्रेस और AAP साथ लड़ती तो, ये हश्र नहीं होता.
दिल्ली में अकेले लड़ेगी AAP
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान कर दिया है कि दिल्ली विधानसभा का चुनाव आम आदमी पार्टी अकेले दम पर लड़ेगी. कांग्रेस पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा. दिल्ली में विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी को खत्म हो रहा है. यानी अगले साल जनवरी में किसी भी समय विधानसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है. AAP अपने उम्मीदवारों की 2 लिस्ट जारी कर चुकी है. दूसरी लिस्ट में AAP ने मनीष सिसोदिया की सीट बदलकर, जंगपुरा कर दी है। जबकि पटपड़गंज से अवध ओझा को टिकट दिया गया है.
दिल्ली के विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया, लेकिन 2025 में दिल्ली के अलावा बिहार में भी विधानसभा चुनाव हैं. तो क्या बिहार में कांग्रेस और आरजेडी के बीच गठबंधन खत्म हो जाएगा क्योंकि जिस तरह से तेजस्वी यादव ने बयान दिया है, वो कांग्रेस के लिए ठीक संकेत नहीं है. बात यूपी की करें तो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच लगातार जिस तरह से बयानबाजी बढ़ रही है, ऐसे में सवाल ये है कि क्या यूपी में होने वाले 2027 के विधानसभा चुनावों में दो लड़कों की जोड़ी नहीं दिखेगी. आपको बता दें कि महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी INDIA गठबंधन तोड़ चुकी है. इसके बाद यूपी में भी संकेत कुछ ठीक नहीं है.
राज्य दर राज्य गिर रहा कांग्रेस का ग्राफ
एक बड़ी पुरानी कहावत है, जब दौर बुरा हो तो, अपने भी पराए हो जाते हैं और कुछ ऐसा ही हो रहा है, कांग्रेस के साथ. लोकसभा में 99 सीटों तक पहुंचने वाली कांग्रेस का ग्राफ, विधानसभा चुनावों में राज्य दर राज्य गिर रहा है, तो अपने भी पराए से नजर आने लगे हैं. पिछले 25 सालों से जो कांग्रेस और आरजेडी, रूठते मनाते हुए साथ चल रही हैं, सवाल ये खड़ा हो गया है कि क्या, 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों में दोनों साथ आएंगे. और सवाल इसलिए उठा है, क्योंकि तेजस्वी यादव ने कहा है कि अगर INDIA गठबंधन नेतृत्व राहुल गांधी की जगह ममता बनर्जी करती हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी.
लोकसभा चुनावों में INDIA गठबंधन के तहत, बिहार की 40 सीटों में से आरजेडी 23 कांग्रेस 9, वीआईपी 3, लेफ्ट 5 सीटों पर चुनाव लड़ी, जिसमें कांग्रेस 3, लेफ्ट 2, आरजेडी 4 सीटों पर जीती. लेकिन जिस तरह से लोकसभा चुनावों के बाद, हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस का बुरा हाल हुआ, उसके बाद तेजस्वी यादव भी INDIA गठबंधन में राहुल गांधी का विकल्प बता रहे हैं. ये वही तेजस्वी यादव हैं, जिनके पिता लालू यादव ने राहुल गांधी को INDIA गठबंधन में दूल्हा बनाया और अब लगता है कि तेजस्वी, राहुल गांधी को घोड़ी से उतारने के लिए बोल रहे हैं.
साथ ही सवाल ये भी है कि जिस तरह से INDIA गठबंधन की नींव रखकर, नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया तो क्या आरजेडी भी कांग्रेस से किनारा करना चाहती है और चुनाव का नया समीकरण तैयार करना चाहती है, क्योंकि इस दफा बिहार के चुनावों में पीके यानी प्रशांत किशोर की पार्टी भी दम भर रही है. INDIA गठबंधन के अंदर बिहार में दरार सी दिख रही है, तो यूपी में भी रार अब खुलकर आ रही है. महाराष्ट्र में INDIA गठबंधन फेल हुआ, तो समाजवादी पार्टी की महाराष्ट्र इकाई ने, ऐलान कर दिया कि अब वो महाविकास अघाड़ी में नहीं रहेगी.
साथी दल कर रहे कांग्रेस से किनारा
समाजवादी पार्टी की महाराष्ट्र यूनिट के प्रमुख अबू आजमी ने कहा है कि विधानसभा चुनाव हारने के बाद उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व की ओर लौटने के संकेत दिए हैं, इसलिए दोनों को साथ में रहना मुश्किल है. तो वहीं अबू आज़मी के इस बयान पर, उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी समाजवादी पार्टी को महाराष्ट्र में बीजेपी का एजेंट बता दिया. आपको बता दें कि INDIA गठबंधन में समाजवादी पार्टी की नाराजगी नई नहीं है. महाराष्ट्र चुनाव में अखिलेश की पार्टी ने महाविकास अघाड़ी से 12 सीटों की मांग की थी. बाद में उसकी मांग पांच सीटों तक आ गई.
क्या 2027 में यूपी में नहीं दिखेगी राहुल-अखिलेश की जोड़ी?
जैसे ही INDIA गठबंधन के नेतृत्व को लेकर, ममता बनर्जी का नाम आया, तो शरद पवार से लेकर अखिलेश यादव ने भी ममता के नाम पर सहमति जता दी. इसके अलावा, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में बहस के मुद्दों को लेकर टकराव दिखा. अब सवाल यही है कि क्या, लोकसभा चुनावों के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा में आने वाली दो लड़कों की जोड़ी 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों में टूट जाएगी. क्योंकि यूपी उपचुनावों में भी अकेले समाजवादी पार्टी ही लड़ी और कांग्रेस ने कहा कि वो बाहर से समर्थन करेगी. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि महाराष्ट्र की तरह यूपी में भी समाजवादी पार्टी अलग राह पकड़ सकती है. अखिलेश यादव कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में भी नहीं शामिल हो रहे हैं. संसद में तो उन्होंने कांग्रेस से किनारा भी कर लिया है.
आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की परफॉर्मेंस पर सवाल खड़े किए हैं. और तो और राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के संभल जाने की कोशिश भी, समाजवादी पार्टी को को रास नहीं आई. राम गोपाल यादव ने कहा कि कांग्रेस संसद में संभल मुद्दे को उठा नहीं रही और राहुल गांधी संभल जा रहे हैं. लोकसभा चुनावों के बाद हुए, राज्यों के चुनावों में कांग्रेस की खराब परफॉर्मेंस से INDIA गठबंधन के दल या तो कांग्रेस से किनारा करना चाहते हैं या फिर INDIA गठबंधन की कमान, ममता बनर्जी को देने के लिए, सहमति जता रहे हैं.
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