नई दिल्ली । बांग्लादेश (Bangladesh) के खिलाफ दो टेस्ट मैचों (test matches) की सीरीज में भारत (India) की बल्लेबाजी (batting) में वह आक्रामकता नजर नहीं आई जिसका कप्तान के एल राहुल (Captain KL Rahul) ने वादा किया था और चयन को लेकर अटपटे फैसलों पर भी सवाल उठने लाजमी हैं। भारतीय गेंदबाजों ने तो दोनों टेस्ट में 40 विकेट लिये लेकिन विरोधी टीम को आखिर तक खेलने का मौका देने से टीम दूसरा टेस्ट गंवाने की कगार पर पहुंच गई थी जो बमुश्किल चार विकेट से जीता। चौथे दिन पिच चुनौतीपूर्ण थी लेकिन 145 रन बनाना उतना भी मुश्किल नहीं होना चाहिये था। भारत ने ऐसी पिच पर अत्यधिक रक्षात्मक खेल दिखाने की गलती की। इससे बांग्लादेश के स्पिनरों को हावी होने का मौका मिल गया।
श्रेयस अय्यर और रविचंद्रन अश्विन ने उपयोगी साझेदारी करके भारत को हार से बचाया लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी घरेलू सीरीज से पहले शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों के औसत प्रदर्शन और चयन में भारी चूक को लेकर प्रश्न उठ रहे हैं।
भारत को इंग्लैंड की तरह अति आक्रामक खेलने की जरूरत नहीं है लेकिन 145 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए कुछ आक्रामकता तो दिखानी चाहिये थी। कप्तान राहुल खुद सहज नहीं दिखे और दोनों पारियों में फ्रंटफुट पर खेलते हुए विकेट गंवा बैठे। अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फरवरी में होने वाले पहले टेस्ट में टीम में उनकी जगह पक्की नहीं लगती।
शुभमन गिल और चेतेश्वर पुजारा बाहर निकलकर खेलने के प्रयास में चकमा खा गए। मौजूदा पीढी के बल्लेबाज स्पिन को बखूबी नहीं खेल पा रहे हैं और उनकी इस कमजोरी की कलई फिर खुल गई। विराट कोहली महान बल्लेबाज हैं लेकिन 22 गेंद में एक रन की पारी को वह खुद भूल जाना चाहेंगे। भारत ने पहले टेस्ट में आठ विकेट लेकर मैन आफ द मैच रहे कुलदीप यादव को भी बाहर रखने की गलती थी। टर्निंग पिच पर तीसरे स्पिनर के रहने से भारत तीसरे दिन ही जीत सकता था।
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