मॉस्को। चीन और रूस (China and Russia) में बढ़ रही दोस्ती को लेकर भारत (India) सशंकित है। ये दोनों देश एक बार फिर संयुक्त सैन्य अभ्यास (Joint military exercise) करने जा रहे हैं। इस युद्धाभ्यास की जानकारी चीन की सरकारी मीडिया ने दी है। चीन की आधिकारिक आधिकारिक शिन्हुआ एजेंसी ने सोमवार को बताया कि रूस की सेना सितंबर में जापान सागर (Sea of Japan) और ओखोटस्क सागर (Sea of Okhotsk) में चीन द्वारा आयोजित अभ्यास में शामिल होने के लिए नौसेना और वायु सेना भेजेगी। शिन्हुआ ने कहा कि अभ्यास का उद्देश्य “चीनी और रूसी सेनाओं के बीच रणनीतिक समन्वय के स्तर को गहरा करना और सुरक्षा खतरों का संयुक्त रूप से जवाब देने की उनकी क्षमता को बढ़ाना” है।
भारत की बढ़ी टेंशन
चीन और रूस के बीच लगातार मजबूत होते सैन्य संबंध से भारत टेंशन में है। भारत की चीन के साथ पुरानी दुश्मनी है। दोनों देशों के बीच पुराना सीमा विवाद है और ये युद्ध भी लड़ चुके हैं। वहीं, रूस भारत का सबसे बड़ा सैन्य साझेदार और हथियारों का सप्लायर है। ऐसे में भारत को डर है कि रूस के करीब आने से चीन की सैन्य शक्ति बढ़ सकती है, जिसका सीधा नुकसान उसे उठाना पड़ेगा। वहीं, रूस की मजबूरी है कि वह चीन को साथ लेकर चले। इसके लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार चीन के साथ दोस्ती मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं।
पहले भी युद्धाभ्यास करते रहे हैं रूस-चीन
रूस और चीन पिछले दो साल में आधा दर्जन संयुक्त सैन्य अभ्यास कर चुके हैं। इनके अधिकतर सैन्य अभ्यास दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में आयोजित हो रहे हैं। इन दोनों इलाकों में चीन और रूस के अपने पड़ोसी देशों के साथ गंभीर सीमा विवाद हैं। इसके बावजूद दोनों देशों की सेनाएं अपना शक्ति प्रदर्शन कर दुश्मनों को सख्त संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। अभी कुछ दिनों पहले ही रूस और चीन की नौसेनाओं ने दक्षिण चीन सागर में संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया था।
भारत के लिए क्या विकल्प?
रूस की चीन के साथ बढ़ती नजदीकियों को देखते हुए भारत ने भी विकल्पों की तलाश तेज कर दी है। यही कारण है कि हाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन के दौरे पर पहुंचे थे। भारत हथियारों के आयात में भी विविधता ला रहा है और रूस से निर्भरता को तेजी से कम कर रहा है। हालांकि, इसके बावजूद भारत, रूस विरोधी किसी समूह का हिस्सा नहीं बन रहा और पर्याप्त दूरी बरत रहा है।
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