न्यूयॉर्क। भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) और अमेरिकी वित्त मंत्री (ट्रेजरी सेक्रेटरी) जेनेट येलेन (Jenet Yelen) के नेतृत्व में आर्थिक और वित्तीय साझेदारी पर एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद भारत और अमेरिका (India and US) ने कहा है कि वे आतंकवाद-वित्तपोषण(Terrorism-financing), कर चोरी और धन शोधन (Money laundering) के खिलाफ (Against) कार्रवाई को पुनर्जीवित (Revive action) करेंगे।
वाशिंगटन में गुरुवार को आठवीं यूएस-इंडिया इकोनॉमिक एंड फाइनेंशियल पार्टनरशिप (यूएसआईईएफपी) बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में उन्होंने कहा, “हम मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने और सूचना साझा करने के साथ ही समन्वय के माध्यम से आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने में अपने सहयोग को मजबूत करना जारी रखे हुए हैं।”
इस बैठक में फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी भाग लिया।
वित्तीय प्रमुखों की बैठक से पहले पिछले महीने ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मुलाकात हुई थी, जिसमें कई क्षेत्रों में आपसी सहयोग पर चर्चा की गई थी, जो कि नई दिल्ली और वाशिंगटन के करीब आने का एक बड़ा संकेत है।
हाल के हफ्तों में दोनों देशों में रक्षा और विदेशी मामलों के नेताओं की मुलाकात हुई है।
अपने संयुक्त बयान में, सीतारमण और येलेन ने वित्तीय अपराधों से लड़ने के महत्व और हमारी वित्तीय प्रणालियों को दुरुपयोग से बचाने के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) मानकों के प्रभावी कार्यान्वयन पर जोर दिया।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) पेरिस स्थित 49 सदस्यीय अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जो आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग से लड़ता है। यह एक आतंकवाद रोधी संगठन के तौर पर काम करता है।
यह आतंकवादियों के वित्तपोषण के लिए जिन देशों की निगरानी करता है, उनमें पाकिस्तान भी शामिल है, जिसे उसने उन देशों की ग्रे सूची में रखा है, जिनके पास आतंकवादियों को धन मुहैया कराने के खिलाफ अपर्याप्त सुरक्षा उपाय हैं, लेकिन संयुक्त बयान में इस्लामाबाद का कोई उल्लेख नहीं किया गया।
सीतारमण और येलेन ने कहा कि उनके देश अपतटीय कर चोरी से निपटने के लिए सूचना साझा करना जारी रखने के लिए तत्पर हैं।उन्होंने बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा कर से बचने के मुद्दे को भी उठाया, जो अनिवार्य रूप से अवैध नहीं है, लेकिन कुछ देशों के लिए राजस्व हानि होती है, क्योंकि दूसरों के पास कंपनियों को आकर्षित करने के लिए कम कॉर्पोरेट कर स्तर हैं।
उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के जी-20 समूह द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर कर लगाने के पिछले महीने के समझौते को जल्द से जल्द अपनाने के लिए मिलकर काम करेंगे।
उन्होंने इसे 21वीं सदी के लिए अधिक स्थिर, निष्पक्ष और उद्देश्य के लिए उपयुक्त बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कर वास्तुकला को अपडेट करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि कहा।
उन्होंने पिछले महीने 136 देशों द्वारा सहमत कराधान पर समझौते में दो तत्वों का जिक्र करते हुए कहा, “हमें 2023 तक स्तंभ (पिलर) 1 और 2 को तेजी से लागू करने के लिए तकनीकी स्तर पर अन्य भागीदारों के साथ मिलकर काम करना चाहिए।”
स्तंभ 1 उन देशों को अनुमति देगा, जहां बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना लाभ अर्जित करती हैं और उन पर कर लगाने के लिए व्यावसायिक गतिविधियां होती हैं और स्तंभ 2 15 प्रतिशत की न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर निर्धारित करेगा।
अमेरिका और भारतीय वित्त प्रमुखों ने कहा कि वे विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम (एफएटीसीए) के तहत एक अंतर-सरकारी समझौते के लिए एक पूर्ण पारस्परिक व्यवस्था पर चर्चा करना जारी रखेंगे, जिसके लिए दूसरे देश में खाता रखने वाले व्यक्तियों और वित्तीय संस्थानों को दोनों देशों में कर अधिकारियों को उनकी रिपोर्ट करने की आवश्यकता होगी।
ग्लोबल वामिर्ंग के खिलाफ कार्रवाई के लिए बाइडेन की उच्च प्राथमिकता के साथ, सीतारमण और येलेन ने जलवायु वित्त पर भी चर्चा की।
दोनों पक्षों के संयुक्त बयान में कहा गया है कि बैठक में मुख्य रूप से वित्तीय अपराधों से लड़ने पर विचार करने के साथ ही जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में तत्काल प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई गई। इसके साथ ही भारत और अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन की दिशा में किए गए वैश्विक प्रयासों पर अपने विचार साझा किए।
बयान में कहा गया है, “हम भारत की बुनियादी ढांचे की जरूरतों को पूरा करने के लिए और अधिक निजी क्षेत्र की पूंजी को आकर्षित करने पर अपना सफल सहयोग जारी रख रहे हैं, जो दोनों देशों में विकास का समर्थन करेगा।”
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