नई दिल्ली। विस्तारवादी मंशा के साथ क्षेत्रीय अस्थिरता और तनाव पैदा करने में जुटे चीन को भारत और जापान ने साफ कह दिया है कि दादागिरी के सहारे क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने के किसी प्रयास का दोनों देश पुरजोर विरोध करेंगे। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और जापान के नए रक्षामंत्री किशी नोबुओ के बीच मंगलवार को फोन पर हुई बातचीत में दोनों रक्षामंत्रियों ने क्षेत्रीय सुरक्षा के मसलों पर चर्चा के दौरान संयुक्त रूप से यह राय जाहिर की।
राजनाथ और किशी की बातचीत के बाद दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों की ओर से जारी अलग-अलग बयान में पूरे क्षेत्र में तनाव और अस्थिरता बढ़ाने की चीन की हरकतों पर बेबाक चर्चा का उल्लेख किया गया। चीन का नाम लिए बिना भारत और जापान ने अपने इस बयान के जरिये स्पष्ट रूप से लद्दाख में बीते आठ महीने से एलएसी पर यथास्थिति बदलने के चीन के जारी प्रयासों को लेकर उसे कठघरे में खड़ा किया।
जापानी रक्षा मंत्रालय ने जारी अपने बयान में साफ कहा कि दोनों रक्षा मंत्रियों ने पूर्वी चीन सागर व दक्षिण चीन सागर समेत तमाम क्षेत्रीय मसलों पर चर्चा की। मौजूदा घटनाक्रमों के मद्देनजर उनका साफ कहना था कि इस बारे में भारत-जापान का एकमत संदेश जाना चाहिए की ऐसी हरकतें क्षेत्र में तनाव बढ़ाएंगी और दोनों देश एकतरफा यथास्थिति बदलने के प्रयासों का तगड़ा मुकाबला करेंगे।
जापान का यह रुख पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन को बार-बार यथास्थिति का सम्मान करने की दी जा रही नसीहत का समर्थन करता है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने भी दोनों नेताओं के बीच कानून सम्मत स्वतंत्र और मुक्त समुद्री आवाजाही व्यवस्था के मुददे पर चर्चा की बात कही। चीन की चुनौतियों को थामने के मद्देनजर दोनों रक्षामंत्रियों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा साझेदारी को और मजबूती से जारी रखने पर जोर दिया। राजनाथ और किशी ने बहुपक्षीय रक्षा सहयोग और साझेदारी के तहत हाल में क्वाड देशों के मालाबार युद्धाभ्यास व जापानी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ की भारत यात्रा सरीखे मसलों पर चर्चा कर इनकी प्रगति पर संतोष जाहिर किया।
इस दौरान दोनों देशों की सेनाओं के बीच भारत-जापान रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के तहत सहयोग बढ़ाने पर भी बात हुई। रक्षा उद्योग और तकनीक क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों को और ऊंचाई देने पर भी सहमति जताई। कोविड-19 काल की चुनौतियों के बावजूद भारत-जापान की रणनीतिक और रक्षा क्षेत्र में साझेदारी के अपनी गति से जारी रखने पर भी दोनों देशों ने संतोष जताया।
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