• img-fluid

    ‘भारत और अमेरिका सह-विकास के मामले में दुनिया के लिए बनें आदर्श’, राजदूत गार्सेटी ने कही ये बात

  • February 21, 2024

    वॉशिंगटन। भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच संबंधों की सराहना की। साथ ही जोर देकर कहा कि दोनों देशों को सह-विकास पर अधिक मजबूती से काम करके दुनिया के लिए आदर्श बनना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के बीच केवल जोड़ने वाले संबंध नहीं, बल्कि ‘बहुआयामी संबंध’ होने चाहिए।

    यह भारत और अमेरिका की बात नहीं
    बता दें, अमेरिकी राजदूत मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में अमेरिका-इंडिया बिजनेस काउंसिल के कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने इस दौरान कहा, ‘जिस तरह से हम एक दूसरे की संस्कृति को समझ रहे हैं, यह जुड़ात्मक संबंध से अधिक है। यह भारत और अमेरिका की बात नहीं है बल्कि यह अमेरिका के समय में भारत का समय है… एक बहुआयामी संबंध।’

    सह-उत्पादन व सह-विकास के बीच अंतर
    सह-उत्पादन व सह-विकास के बीच अंतर को समझाते हुए, गार्सेटी ने कहा, ‘हमें अपनी शर्तों के साथ स्पष्ट होना चाहिए। सह-उत्पादन सह-विकास के समान नहीं है। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि जब हम सह-विकास की ओर देख रहे हैं, तो हमें सह-उत्पादन के लिए काम नहीं करना हैं। हमें देखना है कि कुछ ऐसा जिसकी भारत और इसकी सेना को जरूरत है और कुछ ऐसा जो अमेरिका को चाहिए और वे सब कहां से मिल सकते हैं? और हम कितनी जल्दी सह-विकास को देख सकते हैं और दुनिया के लिए आदर्श बन सकते हैं?’


    सदियों पहले भारत में खोजा गया
    उन्होंने आगे प्राचीन भारतीय ग्रंथों का संदर्भ दिया और कहा कि आज जो कुछ पढ़ाया जाता है, वह सदियों पहले भारत में खोजा गया था। उन्होंने कहा, ‘हमारा लक्ष्य युद्ध छेड़ना नहीं है। ऋग्वेद में, इंद्र सबसे शक्तिशाली देवता, गड़गड़ाहट के देवता और कई मायनों में युद्ध के देवता भी हैं। हम शक्ति को जानते थे और आप पृथ्वी की उस तरह की मौलिक रचना की शक्ति को महसूस कर सकते हैं जो संघर्ष से बाहर आई थी।’

    ‘महाभारत’ और ‘अर्थशास्त्र’ में बताए युद्ध की अवधारणा पर प्रकाश
    अमेरिकी राजदूत ने ‘महाभारत’ और ‘अर्थशास्त्र’ में बताए युद्ध की अवधारणा पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत में दो परंपराएं हैं। एक तो यह कि महाभारत का युद्ध कुछ रोमांचक, गंभीर, लेकिन एक खेल यहां तक कि एक धार्मिक कर्तव्य भी है। हम यह अच्छी तरह जानते हैं। जब हम उतने सभ्य नहीं थे जितने आज हैं, तब हर संस्कृति ने युद्ध की आवश्यकता को गले लगा लिया क्योंकि स्थानों पर विजय प्राप्त की गई थी, लोगों को भुगतना पड़ा था, यह इतिहास जो कभी नहीं लिखा गया।

    उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन एक दूसरी विचारधारा है ‘अर्थशास्त्र’, जो स्पष्ट रूप से बताता है कि युद्ध अन्य माध्यमों से राजनीति की एक निरंतरता है। 200 साल पहले, हमने अपने कॉलेजों में अध्ययन किया था, जैसे कि भारत में बहुत सारी खोज, वास्तव में सबसे पहले यहीं लिखी गई थी।’

    Share:

    UN: भारत ने गरीबी और भूख से निपटने के लिए IBSA फंड को दिए 10 लाख डॉलर

    Wed Feb 21 , 2024
    जिनेवा (Geneva)। भारत (India) एक ऐसा देश है, जो कभी भी किसी की मदद करने से पीछे नहीं हटता था। वह जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा आगे खड़ा रहा है। इसी क्रम में, उसने गरीबी और भूख (poverty and hunger) से निपटने के लिए 10 लाख डॉलर का योगदान (Contribution of 1 million dollars) […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    रविवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved