नई दिल्ली । रूस में भारत के राजदूत वेंकटेश वर्मा ने कहा है कि अमेरिका और रूस के साथ भारत के रक्षा संबंधों में कोई अंतर्विरोध नहीं है। भारत अपनी रक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप हथियारों की खरीद के संबंध में स्वतंत्र नीति अपनाता है।
भारतीय राजदूत ने रूस के समाचार पत्र इजवेस्तिया को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि भारत अतीत में किसी सैन्य-राजनीतिक गठबंधन में शामिल नहीं हुआ है। भविष्य में भी वह किसी गठबंधन में शामिल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भारत स्वतंत्र विदेश नीति अपनाता है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी हाल में कहा था कि भारत किसी गठबंधन में शामिल नहीं हुआ है और न ही आगे होगा। राजदूत वर्मा ने कहा कि भारत की अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी है तथा विश्व मामलों में दोनों देश सहयोग कर रहे हैं। इसी तरह रूस के साथ परंपरागत तौर पर मैत्रीपूर्ण संबंध और साझेदारी है। राष्ट्रीय सुरक्षा के अनुरूप भारत रूस के साथ अपने सैन्य सहयोग संबंधों को जारी रखेगा। अमेरिका और रूस दोनों के साथ भारत के रक्षा सहयोग में कोई अतंर विरोध नहीं है।
वर्मा ने भारत-प्रशांत क्षेत्र के बारे में कहा कि भारत इस क्षेत्र में सहयोग संपर्क सुविधाओं का विस्तार और अंतरराष्ट्रीय कानूनों और नियमों का अनुपालन चाहता है। भारत का मानना है कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में दक्षिण-पूर्व एशिया सहयोग संगठन (आसियान) देशों की केन्द्रीय भूमिका है। उन्होंने कहा कि भारत और रूस का यह साझा हित है कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थितरता कायम रहे तथा आर्तिक स्मृद्धि को बढ़ावा मिले। किसी देश को इस पूरे क्षेत्र की कीमत पर एक तरफा फायदा उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
पूर्वी लद्दाख के घटनाक्रम के बारे में भारतीय राजदूत ने कहा कि भारत रूस के विदेश मंत्री सरगई लावरोव का आभारी है कि उन्होंने इस संबंध में भारत की स्थिति के प्रति समझदारी दिखाई तथा समस्या के समाधान के लिए भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय वार्ता पर जोर दिया।
रूस से हथियारों की आपूर्ति के बारे में राजदूत ने कहा कि दोनों देशों के बीच असैनिक और तकनीकि सहयोग की प्रगति तथा सैनिक साजोसमान की जल्द आपूर्ति के बारे में भारत पूरी तरह संतुष्ट है। उन्होंने कहा कि रूस के रक्षा मंत्री सरगई शोइगु की आगामी भारत यात्रा की उतसुकता के साथ प्रतिक्षा है।
भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जबतक पूरी तरह सामान्य स्थिति कायम नहीं होती तबतक चीन के साथ पहले जैसे संबंध बने नहीं रह सकते। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों और सहमति के अनुरूप वास्तिवक नियंत्रण रेखा पर अग्रिम सैनिकों को पूरी तरह हटाने और सामान्य स्थिति बहाल करने पर जोर दिया। राजदूत ने प्रधानमंत्री मोदी के इस कथन को दोहराया कि विस्तारवाद का युग समाप्त हो गया है अब दुनिया विकास की ओर देख रही है।
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