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    महाराष्ट्र में आसान नहीं इंडिया अलायंस की डगर, विधानपरिषद चुनाव में क्रास वोटिंग के संकेत

  • July 16, 2024

    मुंबई (Mumbai)। महाराष्ट्र (Maharashtra) में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) में सबसे ज्यादा फायदे में कांग्रेस (Congress most benefits) को देखा गया था, लेकिन विधानपरिषद चुनाव (Legislative elections) में सबसे ज्यादा नुकसान (biggest loss) उसी को हुआ है – क्योंकि कांग्रेस के 7 विधायकों के क्रॉस वोटिंग (Cross voting of 7 MLAs) की। विधान परिषद की 11 सीटों के लिए चुनाव हो रहे थे, और 12 उम्मीदवार मैदान में थे. महायुति में बीजेपी के 5 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, जबकि शिवसेना और एनसीपी ने दो-दो उम्मीदवार उतारे थे. महाविकास आघाड़ी ने 3 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था।


    महायुति के तो सभी 9 उम्मीदवार जीत गये, लेकिन महाविकास आघाड़ी के दो ही उम्मीदवार जीत पाये. शिवसेना उद्धव गुट के मिलिंद नार्वेकर, जिन्हें उद्धव ठाकरे का करीबी माना जाता है और कांग्रेस की प्रज्ञा सातव ने भी चुनाव जीत लिया है, लेकिन शरद पवार वाली एनसीपी समर्थित उम्मीदवार जयंत पाटिल चुनाव हार गये हैं। दूसरी तरफ, बीजेपी के पूरे 5, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के 2 और डिप्टी सीएम अजित पवार की एनसीपी के भी दोनों उम्मीदवारों ने जीत हासिल कर ली।

    शरद पवार से मुलाकात के बाद क्या बोले छगन भुजबल?
    लोकसभा चुनावों में महाविकास आघाड़ी ने 30 सीटें जीत कर मैसेज तो यही दिया है कि महाराष्ट्र के लोग बीजेपी से नाराज हैं, और उसके सहयोगी दलों पर उनको उतना भरोसा नहीं रहा. सत्ताधारी महायुति को लोकसभा चुनाव में 17 सीटें ही मिल पाई थीं. बाद में विधान परिषद की चार सीटों के लिए चुनाव हुए तो मुकाबला 2-2 से बराबरी पर रहा, लेकिन अब तो 13 सीटों के मुकाबले में बाजी 9-2 पर छूटी है – और सबसे बड़ी हैरानी की वजह है जयंत पाटिल की हार की वजह।

    अव्वल तो जयंत पाटिल की हार की वजह खोजी ही जा रही है, लेकिन अब तक जो पता चला है उसके मुताबिक हार कारण कांग्रेस विधायकों की क्रॉसवोटिंग बना है – और ये विधानसभा चुनावों के लिहाज से एमवीए के लिए बिलकुल भी अच्छा संकेत नहीं है।

    महाराष्ट्र कांग्रेस में चल क्या रहा है
    कांग्रेस के 7 विधायकों की क्रॉस वोटिंग को समय रहते समझ लेना बेहद जरूरी है. हिमाचल प्रदेश में तो कांग्रेस ने हिसाब करीब करीब बराबर ही कर लिया था, लेकिन महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों से पहले ये बहुत महंगा पड़ सकता है. राज्यसभा चुनाव के दौरान कुछ कांग्रेस विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी, जिन्हें कांग्रेस ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

    महाराष्ट्र में कांग्रेस के सामने शिवसेना और एनसीपी जैसा खतरा मंडरा रहा है. सुनने में आ रहा है कि कांग्रेस के जिन विधायकों ने विधान परिषद चुनाव में क्रॉस वोटिंग की है, उनको सत्ताधारी महायुति के नेताओं का संरक्षण मिला हुआ है. ये भी जरूरी तो नहीं कि जिन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है, सिर्फ वे ही महायुति के नेताओं का संरक्षण ले रहे हों. जितने वोट की जरूरत थी, उतनी क्रॉस वोटिंग हो गई, लेकिन विधानसभा चुनाव के लिए तो और भी कतार में हो सकते हैं।

    कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग इसलिए भी गंभीर मामला है, क्योंकि ये दोनो गठबंधनों की तैयारियों की झलक दिखा रहा है. लोकसभा चुनाव की हार के बाद बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियां नुकसान की भरपाई में जुट गई हैं, जबकि कांग्रेस ऐसी चीजों से बेपरवाह नजर आ रही है।

    कहने को तो महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों पर कार्रवाई की बात कर रहे हैं, लेकिन उनकी एक बात काफी अजीब भी लगती है. नाना पटोले का कहना है, हमने जाल बिछाया था, जाल में बदमाश फंस गये।

    अगर नाना पटोले की बात मान भी लें तो एक बात तो साफ है, कांग्रेस की अंदरूनी कहल बाहर आ गई है, जबकि बीजेपी और उसके साथियों का चुनाव प्रबंधन सही ट्रैक पर चल पड़ा है. इस मामले का दूसरा पहलू ये भी है कि कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के उम्मीदवार तो जीत गये हैं, लेकिन शरद पवार ने जिसका समर्थन किया था, वो हार गया है – क्या ये बाद शरद पवार को फूटी आंख भी सुहा रही होगी।

    गठबंधन में तकरार बढ़ना तो तय लग रहा है
    महाविकास आघाड़ी की मुश्किल सिर्फ कांग्रेस की अंदरूनी कलह ही नहीं है, गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच भी जबरदस्त तकरार है – और ऐसा भी नहीं कि सिर्फ नाना पटोले ही उद्धव ठाकरे से नाराज चल रहे हैं, शरद पवार भी विधानसभा चुनावों में किसी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं हैं।

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