नई दिल्ली: हरियाणा (Haryana) में अल्पमत में चल रही भारतीय जनता पार्टी की सरकार (Bharatiya Janata Party government) का संकट और गहरा गया है. निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद (Independent MLA Rakesh Daulatabad) की हार्ट अटैक से मौत हो गई है, जिसके बाद सरकार के सामने बहुमत का संकट खड़ा हो गया है. हरियाणा में बीजेपी के पास 42 विधायकों का समर्थन है. आइए एक बार हरियाणा विधानसभा का अंक गणित (Haryana Legislative Assembly’s arithmetic) समझ लेते हैं.
हरियाणा के 90 विधायक दल वाले सदन में फिलहाल कुल विधायक 87 हैं. लोकसभा चुनाव लड़ रहे और विधायक पद से इस्तीफा दे चुके पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और रणजीत चौटाला के इस्तीफों और निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद की मौत के बाद तीन विधायक पद खाली हैं. मौजूदा विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 44 है. सदन में बीजेपी के 40 विधायक हैं. एक निर्दलीय विधायक और हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा के समर्थन के बाद बीजेपी के पास कुल 42 विधायकों का समर्थन है. बहुमत के लिए बीजेपी को दो और विधायकों का समर्थन चाहिए.
वहीं विपक्षी पार्टी कांग्रेस के विधानसभा में 30 विधायक हैं. तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ कांग्रेस के पास कुल 33 विधायकों का समर्थन है. सदन में 12 विधायक न्यूट्रल भूमिका में हैं यानी वे किसी के पक्ष में नहीं हैं. इनमें जेजेपी के 10 विधायक, इंडियन नेशनल लोकदल के अभय चौटाला और निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू शामिल हैं.
कुछ दिनों पहले हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार से तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद राज्य सरकार अल्पमत में आ गई थी. इन तीनों विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दिया है. निर्दलीय विधायकों के पालाबदल से राजनीतिक समीकरण भी बदल गए थे. हालांकि, सरकार गिरने का खतरा नहीं है.
अब सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस अभी बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए सदन में कह सकती है. तो इसका जवाब है- नहीं. क्योंकि 13 मार्च को ही नायब सिंह सैनी की सरकार ने बहुमत साबित किया है और नियम है कि इसके छह महीने तक कोई विश्वास मत परीक्षण नहीं हो सकता है. यानी 13 सितंबर तक विश्वास मत परीक्षण का प्रस्ताव कोई नहीं ला सकता है.
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