डेस्क: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राज्यसभा चुनाव के लिए 14 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. इनमें 7 नाम उत्तर प्रदेश की राज्यसभा सीटों के लिए हैं. इन सात नामों में साधना सिंह भी शामिल हैं. लिस्ट में साधना सिंह का नाम होने से वह एक बार फिर चर्चाओं में हैं. इससे पहले वह कई विवादों को लेकर चर्चाओं में रह चुकी हैं. एक बार तो उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी, जिसके लिए बाद में उन्होंने माफी भी मांगी.
साधना सिंह पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली की रहने वाली हैं. वह चंदौली की मुगलसराय से बीजेपी की विधायक भी रह चुकी हैं. वह शुरुआती दिनों से ही व्यापार मंडल से जुड़कर व्यापारियों की समस्याओं को लेकर आवाज उठाती रहे हैं. इतना ही नहीं वह व्यापारियों की समस्याओं को लेकर जेल भी जा चुकी हैं. आइए साधना सिंह के पॉलिटिकल करियर, विवादों और संपत्ति पर नजर डाल लेते हैं.
साधना सिंह का पॉलिटिकल करियर
साधना सिंह एक कृषि परिवार से हैं और उनके पति छविनाथ सिंह किसानी करते हैं. राजनीति में आने से पहले साधना सिंह व्यापार मंडल की अध्यक्ष थीं. फिर साल 2017 में उन्हें बीजेपी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए चंदौली की मुगलसराय सीट से टिकट दिया. समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार बाबूलाल यादव को शिकस्त देकर वह उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंच गईं.
वह वाराणसी की संपूर्णानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी (SSU) से ग्रेजुएट हैं. साल 2000 में वह जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं. फिर व्यापार मंडल से जुड़ने के बाद 2010 में उन्होंने व्यापरियों के हक के लिए आवाज उठाई. इसके लिए वह जेल भी गईं, लेकिन जब जेल से बाहर आईं तो स्थानीय स्तर पर काफी लोकप्रिय हो गईं. यही वो टाइम था जो साधना सिंह के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. उनकी लोकप्रियता को देखते हुए ही बीजेपी ने 2017 में उन्हें मैदान में उतारा और उन्होंने पार्टी की उम्मीदों को कायम रखते हुए सपा उम्मीदवार को शिकस्त दी.
मायावती को लेकर कर दी थी अमर्यादित टिप्पणी
साल 2019 में एक बार साधना सिंह ने बसपा सुप्रीमो को लेकर ऐसी टिप्पणी कर दी थी कि वह चर्चाओं में आ गईं. उन्होंने एक भाषण में विरोधियों के खिलाफ बोलते हुए कह दिया था, ‘मायावती न तो महिला लगती हैं न ही पुरुष.’ हालांकि, बाद में उन्होंने माफी मांगी और अपने बयान को लेकर खेद जताया. साधना सिंह ने मायावती से माफी मांगते हुए कहा, ‘मेरा मकसद किसी का अपमान करना नहीं था. मैं सिर्फ यह याद दिलाना चाहती थी कि 2 जून 1995 को कैसे बीजेपी ने गेस्ट हाउस केस में मायावती मदद की थी.’
वह पहले भी कई बार विवादों में रह चुकी हैं. विधायक बनने के 6 महीने बाद ही वह मुगलसराय रेलवे कॉलोनी का निरीक्षण करने पहुंचीं. यहां यूरोपियन कॉलोनी में गंदगी देख उन्होंने डीआरएम को फोन किया. वह नहीं पहुंचे तो वह भड़क गईं और कूड़ा लेकर डीआरएम के कार्यालय पहुंच गईं. इसी तरह 2018 में भी एक मामले को लेकर चर्चाओं में थीं. तब उनके निशाने पर उस वक्त यूपी के राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद थे. वह चंदौली के जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय के एक सफाईकर्मी को लेकर नाराज थीं. उनका आरोप था कि डीपीआरओ कार्यालय वही चला रहा है. यहां तक की सफाईकर्मियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग में भी उसका हस्तक्षेप रहता है.
साधना सिंह का कहना था कि मुख्यमंत्री के आदेश के बाद इस मामले में जांच नहीं हुई और उनकी यह नाराजगी जयप्रकाश निषाद पर उतरी. इसके अलावा, एक ऑडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें दावा किया गया कि वह ऑडियो साधना सिंह का है, जिसमें वह एक पत्रकार को धमकी देते सुनाई दे रही थीं. सपन डे हत्याकांड में आरोपी राकेश सिंह के साथ वह नजर आई थीं. यह फोटो स्वतंत्र पत्रकार ने सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया. इस फोटो को लेकर ही उन्होंने पत्रकार धमकी दी थी.
कितनी संपत्ति की मालकिन हैं साधना सिंह
माय नेता के अनुसार, 2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव में साधना सिंह की ओर से चुनाव आयोग के दिए गए एफिडेविट में उन्होंने बताया कि उनके पास 1 करोड़ 12 लाख से ज्यादा की संपत्ति है. इसके अलावा, 2 करोड़ 51 लाख रुपये की देनदारी है. अपने एफिडेविट में साधना सिंह ने यह भी बताया कि उनके खिलाफ 7 क्रिमिनल केस दर्ज हैं.
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