आपको यह सुनने में भले ही अजीब (Strange) लगे, पर है सच। एक महिला है, जिसका दिल उसके सीने में नहीं, बल्कि कंधे पर टांगे बैग (shoulder bag) में धडक़ता है। जी हां, यह महिला ब्रिटेन की रहने वाली है, जिसका नाम सल्वा हुसैन है। सल्वा का दिल (heart of salva) उनके सीने में नहीं, बल्कि एक बैग में है, जिसे वह लेकर घूमती है। इस बैग में बैटरी से चलने वाला एक पंप और इलेक्ट्रिक मोटर (pump and electric motor) है, जो उनके दिल को चलाने का काम करता है। इससे सांस उनके फेफड़ों तक पहुंचती है। इसी से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन होता है।
सल्वा हुसैन शादीशुदा हैं और दो बच्चे भी हैं। जुलाई, 2017 की बात है, जब उनकी लाइफ एक आम शख्स की तरह ही चल रही थी। एक दिन उन्हें हार्ट अटैक पड़ा, वो घर पर अकेली थीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत जुटाई और खुद ड्राइव कर डॉक्टर के पास पहुंची। डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें दिल की एक गंभीर बीमारी है। डॉक्टरों ने सल्वा की जांच की, लेकिन उसकी तबीयत खराब होने की वजह से वह इस नतीजे पर पहुंचे कि सल्वा का हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं कर सकते हैं। ऐसे में एक आर्टिफिशियल दिल लगाना ही एकमात्र उपाय था। इसके बाद सेल्वा के पति ने भी इसकी अनुमति दे दी। डॉक्टरों ने प्राकृतिक दिल को निकालकर उसकी जगह पीठ पर एक स्पेशल यूनिट लगाई। इसके साथ एक बैग में बैटरी, इलेक्ट्रिक मोटर और पंप रखा गया, जिसका वजन 7 किलो है।
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उनके बैग से दो बड़ी प्लास्टिक ट्यूब जोड़े गए, जो उनके नाभि से होते हुए फेंफड़ों तक पहुंचती हैं। इन्हीं ट्यूब के जरिए से सीने में प्लास्टिक के चैंबर्स तक हवा पहुंचाई जाती है, जिसके जरिए पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन होता है। मोटर को लगातार पावर देने के लिए सल्वा के बैग में बैटरी के दो सेट होते हैं। एक दूसरी यूनिट स्टैंडबाई के तौर पर रहती है, ताकि पहले के फेल हो जाने पर तुरंत दूसरे का इस्तेमाल किया जा सके। इसके लिए हमेशा कोई ना कोई उनके साथ रहता है। उन्हें अकेला छोडऩा खतरे से खाली नहीं होता है। हालांकि, दूसरी बैटरी का इस्तेमाल करने के लिए महज 90 सेकंड का वक्त होता है।
इसी में उन्हें बैकअप मशीन से कनेक्ट करना होता है। सल्वा को इस बात का डर सताता रहता है कि कहीं बैटरी बंद न हो जाए। हालांकि, इन परेशानियों के बाद भी वो हमेशा मुस्कुराती रहती हैं। सल्वा लोगों के लिए मिसाल हैं। खासतौर पर उन लोगों के लिए जो दु:ख में हार मान लेते हैं। इसलिए हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि दु:ख-सुख तो हर रोज आते-जाते रहते हैं, लेकिन हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। सेल्वा कहती हैं कि उन्हें ठीक होने में लंबा वक्त लगा, लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी।
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